Home पशुपालन Silage: भारत समेत 12 देशों में हरे चारे की समस्या का हल ढूंढने पर कॉर्नेक्स्ट को मिल चुका है कई अवार्ड
पशुपालन

Silage: भारत समेत 12 देशों में हरे चारे की समस्या का हल ढूंढने पर कॉर्नेक्स्ट को मिल चुका है कई अवार्ड

livestock animal news
साइलेज बेलर मशीन.

नई दिल्ली. भारत में सरकार पशुपालन के जरिए किसानों की आय बढ़ाना चाहती है लेकिन इस काम में चारे की समस्या एक बड़ा ब्रेकर है. हालांकि कॉर्नेक्स्ट स्टार्टअप ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया है. इस वजह से और कृषि से जुड़े कार्य करने को लेकर कॉर्नेक्स्ट को नेशनल स्टार्ट-अप पुरस्कार भी मिल चुका है. वहीं कॉर्नेक्स्ट ‘पशुपालन स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज अवार्ड’ को भी हासिल कर चुका है. इसे ’75 कृषि कारोबारियों और इनोवेटर्स में शामिल किया गया है और बड़ा इनवेस्टमेंट भी मिला है. बताते चलें कि कॉर्नेक्स्ट के MSB500 AT Pro को भारत में साइलेज बेलर बनाने का अपनी तरह का पहला पेटेंट हासिल है.

कॉर्नेक्स्ट संस्थापक फिरोज का कहना है कि कॉर्नेक्स्ट ने अब तक भारत के अलावा सामान्य डेयरी प्रोफ़ाइल वाले 12 देशों केन्या, तंजानिया, अल्जीरिया, ब्राजील, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका आदि में भी पशुपालन को लेकर बेहतरीन काम किया है. उन्होंने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के मुकाबले भारत में 30 फीसदी हैं लेकिन फिर भी प्रति पशु दूध उत्पादन की क्षमता कम है. ये चारे की कमी और संरक्षण तकनीकों की कमी के कारण ही है. इसके चलते मौजूदा वक्त में चारे की उपलब्धता में 50 फीसदी की कमी है. इसके चलते मवेशी गंभीर भुखमरी की कगार पर हैं.

कॉर्नेक्स्ट का समाधान क्या है
कॉर्नेक्स्ट फाउंडर का कहना है कि वर्ष के कुछ हिस्से में चारे की कमी के कारण चारे की लागत भी गंभीर रूप से बढ़ जाती है. इस वजह से अक्सर, बहुत से जानवरों को कम भोजन मिलता है. ये न केवल आजीविका का संकट है बल्कि किसानों के लिए भावनात्मक क्षति भी है, क्योंकि वे मवेशियों को परिवार का अभिन्न अंग मानते हैं. 2015 में स्थापित कॉर्नेक्स्ट ने एक इस समस्या का हल निकालने वाली एक तकनीक पेश की. कंपनी ने साइलेज बेलिंग मशीन बनाया. जिससे नैचुरल तरीके से फर्मेंटेड, ज्यादा पोषक से भरपूर हरा चारा बनाया जा सकता है. इस मशीन के ​जरिए साइलेज गांठें तैयार की जाती हैं. एक बार बनाने के बाद इसे बिना किसी नुकसान के 18 महीने तक स्टोर किया जा सकता है.

बेलेड साइलेज क्या है?
दरअसल, कॉर्नेक्स्ट की ओर से पेश की गई साइलेज बेलर मशीन से बेलेड साइलेज बनाया जाता है. ये वो चारा है जिसे सूखे के लिए स्टोर करने के मकसद से साधारण चारे की तुलना में अधिक नमी वाले चारे के जरिए गांठ के तौर पर तब्दील किया जाता है. इसे घास से 40 से 60 प्रतिशत के बीच, गांठों को ​ऐसी प्लास्टिक से जिसमें हवा न जाए उसमें पैक कर दिया जाता है. जब तक उनकी आवश्यकता न हो तब तक सील कर दिया जाता है. सीलबंद गठरी के भीतर बहुत ज्यादा नमी और हवा की कमी होती है. इसके बाद जब सूखे में पशुओं को हरे चारे की जरूरत होती है तो इसे दिया जाता है.

इस वजह से ये तकनीक हुई ईजाद
संस्थापक फिरोज ने बताया कि संचालन के शुरुआती दौर में कॉर्नेक्स्ट ने उत्पादन के लिए इंर्पोटेड यूरोपीय साइलेज बेलरों का उपयोग किया. जिससे ये साबित हो गया कि ये टेक्नोलॉजी भारतीय डेयरी के लिए बेहतर है. दरअसल, यूरोप में बनी मशीनें एक गठरी के आकार 400 किलोग्राम के साइलेज को बनाती हैं. ऐसे में मशीनों (क्रेन) को लोड करना और उतारना, साइलेज गांठों की लागत इसके प्रभाव को को बेहद कम कर देता है. वहीं एक बार खोले जाने के बाद साइलेज की गांठ में हवा लग जाती है. इसे हवा लगने का खतरा रहता है. भारत में अधिकतर सीमांत किसान हैं और उनके पास ज्यादा पशु भी नहीं होते हैं. ऐसे में 2-3 दिनों के भीतर 400 किलोग्राम की गांठ का इस्तेमाल नहीं हो सकता है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा था. इसी वजह से कॉर्नेक्स्ट ने ऐसी तकनीक विकसित किया जो इन समस्याओं को खत्म कर दे.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

पशुपालन

Animal Husbandry News: प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में खुलेगा पशु चिकित्सालय: पशुपालन मंत्री

पशुपालन अब स्टार्टअप के रूप में उभरकर सामने आ रहा है, जिसकी...

पशुपालन

Animal News: पशु-पक्षियों के लिए करें पानी का इंतजाम, बस इस छोटे से काम से बच जाएगी उनकी जान

पशु पक्षियों के पीने के पानी की व्यवस्था को लेकर एक जागरूकता...