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Milk Production: इन दो वजहों से डेयरी पशुओं का दूध उत्पादन हो जाता है कम, जानें क्या करें

गर्मी में खासतौर पर भैंस जिसकी चमड़ी काली होती है और सूरज की रोशनी का असर उसपर ज्यादा होता है.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुपालन में आजकल एक समस्या पशुओं को ज्यादा हो रही है कि पशुओं की जल्दी जेर नहीं गिर रही है. जिस वजह से पशु चिकित्सक को बुलाना पड़ रहा है. देर होने पर पशु दूध का उत्पादन कम कर रहे हैं. जबकि कई बार जेर खुद ब खुद दूसरे या फिर तीसरे दिन में गिर रही है. बावजूद इसके पशु दूध का उत्पादन नहीं कर रहे हैं. इसको लेकर बहुत से पशुपालक परेशान हैं और सवाल कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है. वहीं इससे पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि यह बड़ी समस्या है कि दूध क्यों नहीं उत्पादन हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण पशु के यूट्रेस यानि बच्चेदानी में इन्फेक्शन का होना है. जब यूट्रेस में इंफेक्शन हो जाता है तो दूध उत्पादन प्रभावित होता है. कई बार जब पशु चिकित्सा जेर निकालते हैं तो सही तरीके का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जबकि उसमें कई चीजें हटानी पड़ती हैं. इसके चलते पशु को इंफेक्शन हो जाता हैं.

जेर गिरने में लगता है ज्यादा वक्त
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कई बार जेर पूरी तरह से नहीं गिरती है और थोड़ी बहुत जेर पशु के यूट्रस में रह जाती है, तो इस वजह से भी इंफेक्शन हो जाता है. क्यों​कि जेर गिरने में समय ज्यादा लग जाता है. जब यूट्रेस पूरी तरह से क्लीन नहीं होगा, तबतक यूट्रेस का इन्फेक्शन पूरी तरह से दूर नहीं होगा. इसलिए जरूरी है कि यूट्रेस को क्लीन किया जाए ताकि इन्फेक्शन को दूर किया जा सके. ऐसा होने से पशु सही तरह से दूध उत्पादन करने लगेगा और उसका दूध उत्पादन भी बढ़ जाएगा.

स्ट्रेस से भी पशु कम कर देते हैं दूध उत्पादन
कई बार पशु स्ट्रेस में भी आ जाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध उत्पादन पशुओं के दिमाग से भी जुड़ा होता है. अगर कोई गाय या भैंस मेंटली तौर पर डिस्टर्ब रहती है तो उसका दूध उत्पादन नहीं होता है. अक्सर ऐसा होता है कि जेर नहीं गिरती है तो पशु मेंटली डिस्टर्ब हो जाते हैं. इस वजह से भी दूध का कम हो जाता है. अगर इन दोनों वजह से दूध उत्पादन कम हो जाता है तो उसको दोबारा बढ़ना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में यूट्रेस के इंफेक्शन खत्म किया जाना चाहिए. जब यूट्रेस में इंफेक्शन नहीं होगा तो फिर दूध उत्पादन खुद ब खुद सही होगा और हो सकता है बढ़ भी जाएगा.

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