नई दिल्ली. एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह ने जयपुर, राजस्थान में ‘राइजिंग राजस्थान एग्रीकल्चर एंड अलाइड सेक्टर प्री-समिट’ के दौरान कहा कि राजस्थान में डेयरी विकास की अपार संभावनाएं हैं. समिट में इस बात पर सहमति बनी कि एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज (एनडीएस) बस्सी के फ्रोजन सीमेन बैंक में सेक्स-सॉर्टेड सीमेन खुराक के उत्पादन की सुविधा स्थापित करेगी. साथ ही आरसीडीएफ और राजस्थान राज्य पशुधन विकास बोर्ड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होगा. जिसके बाद एनडीडीबी और सुजुकी बड़े पैमाने पर कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करेंगे.
इस दौरान डॉ. मीनेश शाह ने मारुति सुजुकी के निदेशक केनिचिरो टोयोफुकु की उपस्थिति में राजस्थान सरकार के पशुपालन एवं डेयरी सचिव डॉ. समित शर्मा और राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) की एमडी श्रुति भारद्वाज से मुलाकात की. वहीं मुलाकात के वक्त इस बात पर भी सहमति बनी कि एनडीडीबी आरसीडीएफ सदस्य संघों के बीच किसानों के घर के पीछे 10,000 छोटी क्षमता वाले फ्लेक्सी बायोगैस प्लांट की स्थापना होगी. इस बात पर भी चर्चा हुई कि NDDB महाराष्ट्र के विदर्भ-मराठवाड़ा क्षेत्र और झारखंड में राठी और साहीवाल जैसी स्वदेशी नस्लों को पेश करने में सहायता करेगी.
8 करोड़ परिवारों को मिल रहा है फायदा
NDDB के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने जयपुर में सेंटर फॉर माइक्रोफाइनेंस (सीएमएफ) द्वारा आयोजित संगोष्ठी 2024 में कहा कि भारत में ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने में डेयरी सहकारी समितियों और समुदाय के नेतृत्व वाली संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. ग्रामीण किसानों को शहरी मांग से जोड़ने के लिए मजबूत निवेश और निरंतर प्रतिबद्धता जरूरी है. यह उद्देश्य भारत के सहकारी मॉडल के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि आज, भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 24 फीसदी का योगदान देता है, जिससे लगभग 8 करोड़ परिवारों को फायदा होता है. जिनमें लगभग 1.7 करोड़ सहकारी-जुड़े सदस्य शामिल हैं. मजबूत नेतृत्व, सक्रिय सदस्य भागीदारी और कुशल पेशेवर महत्वपूर्ण हैं.
NDDB बनाया है दूध उत्पादक संगठन
NDDB के अध्यक्ष ने डेयरी के लिए इनपुट सेवाओं के महत्व पर बल दिया, जो एक इनपुट-गहन क्षेत्र है, जहां पशु प्रजनन, पोषण और स्वास्थ्य संसाधनों तक विश्वसनीय पहुंच आवश्यक है. आटोमेटिक कलेक्शन सिस्टम और प्रत्यक्ष भुगतान गांव स्तर पर पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा देते हैं. डॉ. शाह ने नीति वकालत और स्थिरता में एनडीडीबी के प्रयासों पर प्रकाश डाला. बताया कि डेयरी सेवाओं (एनडीएस) के माध्यम से, NDDB ने 22 दूध उत्पादक संगठन (एमपीओ) स्थापित किए हैं, जिनमें 15 महिला-नेतृत्व वाले हैं, ग्रामीण जुड़ाव का विस्तार कर रहे हैं और महिला सशक्तीकरण से महिला-नेतृत्व वाले विकास में बदलाव को बढ़ावा दे रहे हैं.
2 लाख गांवों को करना है कवर
उन्होंने सहकार से समृद्धि के विजन के बारे में विस्तार से बताया जिसका उद्देश्य बहुउद्देशीय पीएसीएस/डीसीएस या मत्स्य सहकारी समितियों द्वारा ग्राम पंचायतों के साथ 2 लाख गांवों को कवर करना है. बायोगैस खाना पकाने में सहायक है, जबकि महिला सहकारी समितियों के माध्यम से घोल को जैविक खाद में परिवर्तित किया जाता है. एसआरडीआई के साथ साझेदारी बड़े पैमाने पर बायोगैस/सीबीजी संयंत्रों के माध्यम से मवेशियों के गोबर को जैव ऊर्जा में परिवर्तित करके किसानों के लिए स्थिरता और अतिरिक्त आय के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है, नए आर्थिक अवसर पैदा करती है और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है.
केंद्र में रखा जा सकेगा विकसित भारत
डॉ. शाह ने कहा कि वो सहकारी समितियों को अन्य ग्रामीण कृषि उत्पादों के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में भी देखते हैं, जिससे इसे ग्रामीण समुदायों के नेतृत्व में एक आत्मनिर्भर, समावेशी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत के ‘विकसित भारत 2047’ मद्देनजर के केंद्र में रखा जा सके. डॉ. शाह के अलावा राजस्थान सरकार की ग्रामीण विकास की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रेया गुहा और सेंटर फॉर माइक्रोफाइनेंस (सीएमएफ) के अध्यक्ष प्रो. एमएस श्रीराम ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
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