Home पशुपालन World Camel Day: बेहद उपयोगी होने के बाद भी कम हो रही है ऊंटों की संख्या, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
पशुपालन

World Camel Day: बेहद उपयोगी होने के बाद भी कम हो रही है ऊंटों की संख्या, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

world camel day
प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. आज विश्व ऊंट दिवस (World Camel Day) है. कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009 में पहली बार ऊंट दिवस पाकिस्तान में मनाया गया था. इसके बाद से हर साल 22 जून को मनाया जाता है. विश्व ऊंट दिवस मनाने के मकसद की बात की जाए तो इस दिन कम हो रहे इस पशु के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम किया जाता है. गौरतलब है कि 40 से 50 वर्ष तक जीवित रहने वाले ऊंट की संख्या में तेजी से कमी आ रही है. हालांकि इसको लेकर सरकारें कदम जरूर उठा रही हैं लेकिन इसे रोका नहीं जा पा रहा है.

सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए और सिर्फ राजस्थान की ही बात की जाए तो इस राज्य में केवल 2 लाख ऊंट बचे हैं. जबकि साल 2019 में हुई पशु गणना में ऊंटों की संख्या 2.52 लाख थी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन संख्या में कमी आ रही है. इतना ही नहीं साल 2012 में हुई पशुगणना में यह संख्या चार लाख थी. ऊंट कई मायनों में एक बेहतर पशु है. बावजूद इसका संरक्षण किए जाने में लापरवाही की जा रही है. जिसका नतीजा ये है कि इसकी संख्या में कमी आ रही है.

क्या होती है ऊंट की खासियत
अगर ऊंट की खासियत की बात की जाए तो ये रेगिस्तान में कृषि, सामान लाने और ले जाने के लिए काफी उपयोगी माने जाते हैं. आमतौर पर एक वयस्क ऊंट की ऊंचाई कूबड़ तक 7 फुट के करीब होती है. ऊंट की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसी वजह से इसे रेगिस्ताान का जहाज कहा जाता है. किसी अन्य जानवर के लिए इतनी गति से इन क्षेत्रों में दौड़ने की क्षमता नहीं होती है. ऊंट के चलने पर दबाव के कारण गद्देदार पंजा फैलता है जो रेत में इसकी पकड़ मजबूत हो जाती है. इसकी वजह से रेतीली भूमि पर आसानी से दौड़ और चल सकता है. वहीं ऊंट के ब्रेस्ट एवं चारों पैरों के घुटनों पर मोटी कठोर त्वचा की गद्दी होती है.

जैसलमेरी में हैं सबसे ज्यादा ऊंट
रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में से जैसलमेर में एकमात्र ऐसा जिला है, जहां ऊंटों की सबसे ज्यादा संख्या है. इसके साथ ही जैसलमेर के ओरण क्षेत्र में ऊंटों की संख्या बहुत ज्यादा है. गौरतलब है कि राजस्थान का राजकीय पशु भी ऊंट है. यहां का सबसे बेहतर ऊंट जैलसमेरी माना जाता है. यह ज्यादातर राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में पाले जाते हैं. यहां इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. अगर इनकी खासियत पर गौर किया जाए तो जैसलमेरी ऊंट गतिशील स्वभाव के माने जाते हैं. उनके पैर लंबे पतले पर होते हैं और छोटे सिर और मुंह होते हैं. उनका शरीर अधिकतर हल्का भूरा दिखाई देता है त्वचा पतली होती है और उदर गोलाकार होता है.

कृषि और पर्यटन के लिए अहम
गौरतलब है कि राजस्थान में ऊंट का कई इस्तेमाल किया जाता है. ये रेगिस्तान में कृषि का सामान लाने ले जाने के लिए बहुत ही यूजफुल पशु है. इससे बहुत से किसान सामन को एक से दूसरी जगह आसानी से लाते और ले जाते हैं. वहीं ये पशु पर्यटन के लिहाज से भी बहुत उपयोगी है. आज भी जब राजस्थान में विदेशी सैलानी हो या फिर देश के लोग घुमने आते हैं तो ऊंट की सवारी करना नहीं भूलते हैं. यही वजह है कि राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार ने साल 2022-23 के बजट में ऊंट संरक्षण और विकास नीति लागू करने के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal Husbandry: Milk animals can become sick in extreme cold, adopt these methods to protect them from diseases.
पशुपालन

Animal News: पशुओं को कितने दिनों तक अलग रखना चाहिए, यहां पढ़ें क्वारेंटाइन के नियम क्या हैं

प्राथमिक क्वारेंटाइन इकाई में अलगाव शेड में रखा जाना चाहिए. मादा पर...

exotic cow breeds in india
पशुपालन

Animal Husbandry News: डेयरी पशुओं में बांझपन के क्या हैं लक्षण, इसके बारे में जानें यहां

पशुओं में बांझपन आ जाता है. क्योंकि जो पोषक तत्व हम अपने...

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...