नई दिल्ली. अब भारत से मिस्र में निर्यात होने वाले मीट को हलाल सर्टिफिकेशन देना होगा. इसके लिए मिस्र सरकार भारत में मीट सर्टिफिकेशन के लिए एक दफ्तर खोलने जा रही है. इस ऑफिस का काम होगा कि वह इस बात की तस्दीक करे कि, भारत से जो मीट मिस्र इंपोर्ट कर रहा है वो हलाल है. इस ऑफिस का काम मीट का सर्टिफिकेशन करना है. फिलहाल सर्टिफिकेशन एजेंसी की ओर से मीट का सर्टिफिकेशन होगा. इसमें भारत से निर्यात होने वाले अन्य प्रोडक्ट को भी ऐड किया जाएगा. बताते चलें कि मिस्र सरकार ने हलाल मीट इंपोर्ट को लेकर एक स्टैंडर्ड सेट किया है. उसी के हिसाब से वह पूरी दुनिया से मीट इंपोर्ट करती है.
आंकड़े के मुताबिक भारत से 60 फीसदी मीट मिस्र में निर्यात किया जाता है. बताया जा रहा है कि भारत में हलाल सर्टिफिकेशन ऑफिस खोलने को लेकर मिस्र की अपनी आंतरिक पॉलिटिक्स भी शामिल है. जबकि भारत मानकों के लेकर तमाम मानकों को पहले ही पूरा करता रहा है. कभी भी वहां से मीट की क्वालिटी को लेकर सवाल भी नहीं उठा है. बताते चलें कि मिस्र में हलाल मीट का सर्टिफिकेशन करने वाली एजेंसी को आईएसईजी कहा जाता है. उसके अधिकारी ने बताया है कि हलाल मीट का सर्टिफिकेशन सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया भर के तमाम देशों से इंपोर्ट होने वाले मीट के लिए लागू किया गया है.
सर्टिफिकेशन से गुजरना होगा
आईएसईजी के अधिकारी द्वारा यह भी बताया गया है कि जो भी मीट निर्यातक, मीट प्लांट से का संचालन करते हैं और मीट को मिस्र के लिए निर्यात करते हैं तो उनसे सर्टिफिकेशन एजेंसी किसी तरह की कोई फीस नहीं लेगी. हालांकि जो भी प्रोडक्ट मीट से संबंधित एक्सपोर्ट किया जाएगा उसे इस एजेंसी सर्टिफिकेशन से गुजरना होगा. आपके यहां बता दें कि भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाला मीट तमाम मानकों पर पूरी तरह से खरा उतरता रहा है. इस बात की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन एजेंसी कोडेक्स भी कर चुकी है. हालांकि इससे अलग से सर्टिफिकेशन की क्या जरूरत है? इसका जवाब एक अधिकारी ने देते हुए कहा है कि धार्मिक आधार पर ऐसा किया जा रहा है.
धर्म से जुड़ा है ये मामला
क्योंकि इस्लाम में गैर हलाल मीट को हराम करार दिया गया है और हलाल तरह से कत्ल किए गए जानवर के मीट को साफ सुथरा और पाक माना जाता है. हल में जैविक और अस्थाई जीवन शैली को महत्व दिया जाता है. कंपनी के सुपरवाइजर इस बात को तय करते हैं कि जानवर जिसका मीट लाया जा रहा है. वह जानवर स्लाटर हाउस तक लाने के दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उसे किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं मानसिक हिंसा का भी सामना नहीं करना पड़ा है.
500 मिलियन डॉलर से ज्यादा का है कारोबार
गौरतलब है कि भारत से मिस्र के संबंध करीब 1500 साल पुराने हैं. भारत की 80 फ़ीसदी आबादी के बीच मीट लोकप्रिय है जबकि मिस्र की 99 फ़ीसदी आबादी मांसाहार का सेवन करती है. एक आंकड़े के मुताबिक भारत मिस्र से जाने वाले भैंस के मीट पहले से बढ़कर 500 मिलियन डॉलर हो चुका है. जबकि से पहले 493 मिलियन डॉलर ही कमी निर्यात होता था. हालांकि क्वांटिटी के हिसाब से इसमें कमी आई है पहले मीट की मात्रा 1.94 लाख मीट्रिक टन थी लेकिन अब घटकर 1.82 लाख तन हो गई है.
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