नई दिल्ली. बरसात के समय में जब आसमान पर बादल छा जाता है तो उसे समय तालाब में मछलियों को बेहद ही परेशानी का सामना करना पड़ता है. मछली पालन विभाग उत्तर प्रदेश (Fisheries Department Uttar Pradesh) के एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसी अवस्था में तालाब के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा बेहद ही कम हो जाती है. जिसके चलते मछलियों को परेशानी होती है और मछलियां खुद कर तालाब के बाहर आने की कोशिश करती है. ऐसे में भी उनकी मौत हो जाती है और मछलियों में मृत्यु दर दिखाई देती है. जिससे मछली पालन को नुकसान होता है.
तालाब के अंदर फंगेसियास और मांगुर जैसी मछलियां बहुत ज्यादा बीट करती हैं. इसकी चलते तालाब के अंदर बहुत ज्यादा गंदगी का लोड बढ़ जाता है और इससे अमोनिया गैस उत्पन्न होने का खतरा रहता है. जिसका भी उपचार करना बेहद ही जरूरी है.
कित बातों का रखें ध्यान
उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक अमोनिया आमतौर पर धूप न निकलने की वजह से पानी में विकराल रूप ले लेती है.
अमोनिया के बीच ऑक्सीजन तालाब में लगभग खत्म हो जाती है. जिसके चलते मछलियां स्ट्रेस में आकर दम तोड़ देती हैं. इसलिए यह सावधानी बेहद जरूरी है.
इसके लिए सुबह-सुबह खास तौर पर 5 से 6 बजे अपने तालाब पर एक चक्कर जरूर लगाकर आएं. आपको मछलियां ऊपर की तरफ दिखें तो तुरंत पानी की मोटर चलाएं.
ऐसा करने से तालाब के अंदर पानी गिरे और इससे ऑक्सीजन लेवल मेंटेन हो जाएगा.
यदि स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर हो जाए तब आप 2 किलो ऑक्सीजन टैबलेट 20 किलो जीमेल लाइट एक एकड़ के हिसाब से तालाब में डालें.
इससे तालाब अमोनिया और नाइट्रेट खत्म हो जाएगा. पानी में घुलनशील ऑक्सीजन बढ़ जाएगी और मछलियां राहत महसूस करेंगे.
निष्कर्ष
क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही आपकी पूरे साल की मेहनत को खराब कर सकती है. इसलिए इन सब बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
Leave a comment