नई दिल्ली. देश में हर साल सीवीड उत्पादन बढ़ रहा है. पिछले कुछ वर्षों में इसका उत्पादन चार गुना बढ़ा है. दरअसल, जहां इसकी खेती संभावनाएं बहुत हैं तो वहीं सरकार भी इसको बढ़ावा देने पर फोकस कर रही है. इस दिशा में सरकार की तरफ से लक्षद्वीप को सीवीड क्लस्टर के रूप में अधिसूचित किया गया है, और ICAR-सेंट्रल मरीन फिशरीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र को सीवीड खेती और अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सलेन्स) के रूप में अधिसूचित किया गया है.
इसके बाद, विभाग द्वारा सीवीड जर्मप्लाज्म के आयात के लिाए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. नीति आयोग ने इस क्षेत्र के विकास के लिए एक सीवीड नीति रिपोर्ट भी जारी की है. देश में इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) और समुद्री शैवाल विकास पर तकनीकी सलाहकार समिति (TAC) के रूप में एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया है.
यहां शुरू हुई समुद्री शैवाल की खेती
इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने राज्य मत्स्यपालन विभाग, CSIR-सेंट्रल साल्ट एंड मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSMCRI), ICAR-सेंट्रल मरीन फिशरीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) और सीमा सुरक्षा बल (BSF), स्थानीय मछुआरों, तटीय समुदायों सहित रिसर्च और विकास संस्थानों के सक्रिय सहयोग से गुजरात के कच्छ जिले के खाड़ी क्षेत्रों में समुद्री शैवाल की खेती भी शुरू की है.
कोरी क्रीक क्षेत्रों में समुद्री शैवाल की खेती के लिए व्यवहार्यता रिसर्च शुरू करने और स्थानीय मछुआरों, तटीय समुदायों को जागरूकता और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 3 परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है.
सरकार ने CSMCRI को 53 लाख रुपए, CMFRI को 95 लाख रुपए और मेसर्स टीसीएस पर्पल टर्टल प्राइवेट लिमिटेड को 68 लाख रुपए दिए हैं.
5 जून, 2023 को कच्छ की खाड़ी के क्रीक क्षेत्रों में लक्की गाँव में समुद्री शैवाल संवर्धन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें आसपास के 10 गाँवों (लखपत, नारायण सरोवर, लक्की, मेडी, रोडसर, पाइपर, मालेरासी, गुनाऊ, जखाऊ, आशिरावंद) के 250 ग्रामीणों ने भाग लिया है.
इसके बाद, 27 जनवरी, 2024 को कोरी क्रीक, गुजरात में समुद्री शैवाल पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 450 समुद्री शैवाल किसानों, वैज्ञानिकों, विभागों व मंत्रालयों के प्रतिनिधियों, गुजरात सरकार और अन्य तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
ICAR-CMFRI ने समुद्री शैवाल खेती प्रौद्योगिकियों में अच्छे प्रबंधन प्रथाओं (GMPs) को लागू करने पर मंडपम और तूतीकोरिन, तमिलनाडु में 23.01.2024 से 15.02.2024 तक स्थानीय (कोरी क्रीक, गुजरात) लोगों के पहले बैच का एक विशिष्ट मास्टर ट्रेनर विकास कार्यक्रम आयोजित किया.
गुजरात सरकार ने बताया है कि राज्य सरकार के पास 2018 से समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक योजना भी है और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, राज्य में मारकेट लिंकजेस को मतबूत करने के लिए इस योजना के अंतर्गत एक समुद्री शैवाल बैंक और समुद्री शैवाल प्रसंस्करण इकाई को भी मंज़ूरी दी गई है.
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