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Fisheries: बरसात में ऐसे करेंगे मछली तालाब का प्रबंधन तो नहीं उठाना पड़ेगा आर्थिक जोखिम

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.
तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. भारत कृषि प्रधान देश होने की वजह से ज्यादातर लोगों का आर्थिक जीवन पशुधन पर भी आधारित है. अब पशुओं के साथ मछली पालन भी देश में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मछली पालन से जुड़कर लोग लाखों रुपये प्रतिमाह की कमाई कर रहे हैं. मगर, कभी-कभी छोटी सी गलती या लापरवाही इतना बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचा देती है कि लोग संभल नहीं पाते. ये नुकसान सबसे ज्यादा बरसात के मौसम में होता है. बरसात के मौसम में मछली तालाब की बहुत देखभाल करनी पड़ती है, जिससे मछली मरती नहीं हैं. आज बातों के बारे में बताने जा रहे हैं कि इस मौसम में तालाब का प्रबंधन कैसे करें, जिससे मछलियों को मरने से बचाया जा सके.

देश की अर्थव्यवस्था में अब मछली पालन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो मछली से होने वाली इनकम किसान, मछली पालकों को आत्मनिर्भर भी बनाने लगी है. सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनए सचालित कर रही है. मगर, कभी-कभी मछली पालने के प्रबंधन में ऐसी गड़बड़ी हो जाती है कि मछलियां मर जाती हैं, जिससे मछली पालकों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. अगर हम बरसात आने से पहले ही कुछ सरल से तरीकों को अपना लिया जाए तो मृत्यु की दशा में हम बड़े नुकसान से बच सकते हैं. नीचे दिए जा रहे बिंदुओं का गौर स पढ़ें और अपने तालाब पर इन्हें आजमाकर देखें…

तालाब के पानी को ओवरफ्लो न होने दें
बारिश के दौरान तालाब में पानी की मात्रा स्वत: ही बढ़ जाती है, जिससे पानी के ओवरफ्लो जाता है और पानी के ओवरफ्लो होते ही मछली बाहर निकलकर मर जाती हैं. इसलिए बारिश शुरू होने से पहले ही तालाब की मरम्मत या ऐसा इंतजाम करा दें, जिससे पानी के ओवरफ्लो होने पर मछली तालाब से बाहर न आ पाए.

मानसून से पहले तालाब से गाद को साफ कर दें
तालाब में वक्त बीतने के साथ ही कार्बनिक पदार्थ तली में जम जात है. गाद अतिरिक्त पानी के साथ प्रतिक्रिया करने लगती है और कभी-कभी पानी का पैरामीटर बहुत गड़बड़ा जाता है. इस कारण बड़े स्तर पर मछलियां मर सकती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि मानसून आने से पहले ही तालाब से गाद को साफ कर दें.

तालाब में आक्सीजन लेबल बनाए रखें
बारसत के मौसम में तालाब के अंदर आक्सीजन की कमी हो जाती है. इसलिए अक्सर मछलियां आक्सीजन लेने के लिए पानी की सतह पर आ जाती हैं. ऐसा घुलित आक्सीजन की कमी की वजह से होता है. इसलिए पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ताजा पानी या एरेटर जोड़ना बेहद जरूरी है, जिससे आक्सीजन का लेबल बना रहेगा.

जल निकासी का उचित प्रबंधन
बारिश के दिनों में तालाब की नियमित निगरानी की जाए. क्योंकि बरसात के मौसम में पीएच स्तर गिर जाने की वजह से सतह का पानी अधिक अम्लीय हो जाता है, इसलिए तालाब में उचित जल निकासी प्रणाली का प्रबंधन करने की बेहद जरूरत है.

बारिश में मछलियों को कम दें भोजन
बरसात के मौसम में मछलियों को आम दिनों की अपेक्षा कम मात्रा में भोजन देना शुरू कर दें,क्योंकि मौसम परिवर्तन होने के कारण मछलियां कम भोजन ग्रहण करती हैं और बारिश के दिनों में शैवाल खिलने लगते हैं. इससे घुलित आक्सीजन की कमी हो सकती है.

क्या है घुलित आक्सीजन
घुलित आक्सीजन (DO) पानी में घुली आणविक आक्सीजन को संदर्भित करता है. इसकी mg/L है, इसका मतलब है कि प्रति लीटर पानी में कितनी मिलीग्राम आक्सीजन है. आक्सीजन का स्तर पानी में स्व-शुद्धिकरण क्षमता को दर्शा सकता है. यानी ऐसे समझे कि एक आरओ फिल्टर एक घंटे में कितना पानी साफ कर सकता है, इसकी गणना लीटर प्रति घंटे में की जाती है.

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