Home पशुपालन Fodder Crisis: बढ़ा चारे का संकट, अब बचा है सिर्फ दो महीने का चारा
पशुपालन

Fodder Crisis: बढ़ा चारे का संकट, अब बचा है सिर्फ दो महीने का चारा

cattle shed, Luwas, Animal Husbandry, Parasitic Diseases, Diseases in Animals, Animals Sick in Rain, Lala Lajpat Rai University of Veterinary Medicine and Animal Sciences, Luwas, Pesticides,
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गर्मी आते ही पशुपालन के लिए सबसे बड़ा संकट चारे की उपलब्धता का होता है. क्योंकि पशुओं के लिए चारा संकट खड़ा हो जाता है. ये कोई नई बात नहीं है. हर बार ऐसी स्थिति उतपन्न हो जाती है. इसके चलते पशुपालकों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं ऐसी स्थिति में प्रोडक्शन पर भी असर पड़ता है और आम जनता तक भी डेयरी प्रोडक्ट नहीं पहुंच पाता है. महाराष्ट्र के पुणे से एक गंभीर खबर सामने आ रही है. यहां पर सिर्फ दो महीने का ही चारा बचा है. उसके बाद स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने जरूरी कदम उठाए हैं लेकिन इसमें कितनी कामयाबी मिलेगी ये कहना मुश्किल है.

पुणे जिला परिषद (जेडपी) के अधिकारियों का कहना है कि बांधों में पानी के घटते स्तर और चारे की कमी ने ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को मुश्किल की स्थिति में डाल दिया है. अधिकारियों ने बताया कि हालांकि इससे निपटने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है. अफसरों के उनके आकलन के मुताबिक चारे का मौजूदा स्टॉक केवल दो महीने तक ही चल सकता है. इस तरह से किसानों के लिए अपने मवेशियों की देखभाल करना मुश्किल हो जाएगा.

बीज उपलब्ध कराए गए
जिले में डेयरी किसानों को कठिन समय का सामना करना पड़ेगा. अफसरों का कहना है कि
हमारे पास जिले में 11.4 लाख मवेशियों के लिए 3.8 टन चारा उपलब्ध है. जबकि हर दिन की खपत 5.8 टन है. दिक्कत ये है कि ये अगले दो महीने में खत्म हो जायेगी. इस गंभीर स्थिति से निपटने और अप्रैल व मई में चारा उपलब्ध कराने के लिए के लिए पशुपालन अधिकारियों ने उन किसानों को चारा बीज वितरित किए जहां पानी उपलब्ध है.

अफसरों ने उठाए ये जरूरी कदम
जिला परिषद के पशुपालन प्रभाग के प्रमुख विष्णु गरजे ने कहा कि “पुरंदर और बारामती तहसीलों में स्थिति गंभीर है. हमने प्रभावित गांवों में जरूरी कदम उठाए हैं और मई में नए चारे की आपूर्ति मिलने की उम्मीद हमें है. उन्होंने कहा, इसके अलावा, इस साल जिले में ज्वार की बुआई का रकबा 10,000 एकड़ बढ़ गया है. ज्वार के अवशेष का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है. यह आने वाले महीनों में हमारी आवश्यकताओं को पूरा करेगा.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

exotic cow breeds in india
पशुपालन

Animal Husbandry: कितना और कब खिलाना चाहिए यूरिया वाला चारा, बनाने का तरीका भी जानें

यूरिया घोल को पौधों में पानी देने वाले झारे से फैलाएं और...

livestock animal news
पशुपालन

Animal News: पशु को लग जाय ठंड तो घर पर बनी इस दवा की खिलाएं एक खुराक, तुरंत मिलेगा आराम

इसे अच्छी तरह से कूट लें और फिर बछड़े-बछड़ी वैसे ही खिला...

Foot-and-mouth disease, lameness disease, black quarter disease, strangulation disease, hemorrhagic septicemia, HS, live stock, live stock animals, animal husbandry, animal husbandry, animals sick in rain
पशुपालन

Animal Husbandry: चारे की कमी होने पर पशुओं को क्या-क्या खिलाया जा सकता है, इन 6 प्वाइंट्स में पढ़ें

गोखरू के पौधे हरी एवं मुलायम अवस्था बेहद पौष्टिक होती है. जिन...