नई दिल्ली। बकरियों और बकरा का आहार अलग अलग होता है. कभी−कभी एक जैसा ही चारा या फिर आहार हम सभी बकरियों को देने लगते हैं. जिससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है. जिसके कारण बकरी पालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता है. मादा ग्याभिन को किस प्रकार का आहार दें और कितनी मात्रा में दें, ये जानकारी बहुत उपयोगी है. वहीं जो बकरी दुधारू है, उसे क्या दें ये भी उपयोगी है. इस लेख के जरिए जानिए कैसा फूड कब दें. बकरियां पूरा खाना एक बार में नहीं खाती हैं, ये थोड़ा−थोड़ा खाना हर समय खाना पसंद करती हैं. इसीलिए जरूरी है कि एक अच्छे मुनाफा के लिए इसके फूड का उचित इंतजाम किया जाए. मादा बकरी, दुधारू बकरी, प्रजनन में काम आने वाला बकरा सभी को कैसा आहार दें, जानिए यहां.
मादा बकरियों को ग्याभिन कराने के समय पोषण व्यवस्था उत्तम प्रकार की होनी चाहिए. आमतौर पर देखा गया है कि दूध देने के कारण या उत्तम प्रकार के पोषण न होने के कारण बकरियों का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है. आमतौर से देखा जाता है कि जो खुराक अन्य बकरियों को दी जाती है. यही गाभिन बकरियों को भी दी जाती है. व्यापार की दृष्टि से ऐसा करना उचित नहीं है. इस प्रकार की बकरियों में गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है.
गाभिन बकरी के लिए आहारः इसलिए बकरी पालकों को चाहिए कि इस प्रकार की बकरियों को ग्याभिन कराने के करीब दो सप्ताह पूर्व लगभग 100-200 ग्राम दाना अतिरिक्त देना चाहिए, जिससे कि इन बकरियों की गर्भ धारण करने की क्षमता में सुधार आ सके। गर्भावस्था के अंतिम छठे से सातवें सप्ताह के अंदर बच्चे की 70-80 प्रतिशत वृद्धि होती है। इसलिए इस दौरान बकरी की अच्छे किस्म का हरा चारा खिलाएं। जब बकरी के ब्याने के करीब 4 से 5 दिन रह जाएं उस समय जो सामान्य पोषण चल रहा है, उससे अतिरिक्त 300-400 ग्राम दाना प्रति दिन प्रति बकरी को देना आवश्यक है।
दुधारू बकरी का आहार दुधारू बकरियों को सामान्य बकरियों से अधिक पौष्टिक और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है. औसतन एक दुधारू बकरी दिन में 3 से 4 किलोग्राम हरा चारा और सूखा चारा खा सकती है. इसके अतिरिक्त प्रति एक किलो ग्राम दूध के लिए 300 ग्राम तक दाना दें. दाना की मात्रा को दिन मे दो बार बराबर मात्रा में दें.
बकरा का आहार प्रजनन में काम आने वाले बकरे (बोका) को अच्छे और संतुलित आहार की जरूरत होती है. ऐसे बकरे आमतौर पर चरने नहीं जाते है. इसलिए बकरों को हरा और सूखा चारा के अलावा 400 से 600 ग्राम तक दाना प्रतिदिन देना आवश्यक है. बोका को उपयोग में नहीं लाने के समय उसको आहार में दाना की मात्रा कम कर दें. अगर बोका ज्यादा जींदार या मोटा हो गया तो उसे कम चारा खिलाए यानी आधा कर दें साथ ही ताकत पैदा करने वाली चीजें जैसे मकई, चावल और गेहू की मात्रा भी कम कर दें.
बकरियों के चारा खिलाने में कुछ सावधानी
सभी हरे चारे को बंडल बनाकर लटकाकर रखें
चारे को खराब होने से बचाएं
चारा रोजाना थोड़ा-थोड़ा 3-4 बार में दें
एक या दो घंटे की गीली घास न दें
धूप में सुखी पत्तियां भी दे सकते हैं
वासी हरा चारा हरगिज न दें, इनमें फफूंदी और कीड़े लग जाते हैं
पानी : चारा और दाना की तरह पानी की व्यवस्था करनी भी जरूरी है. पानी कम होने पर आहार नहीं पचेगा, वजन में अनुरूप वृद्धि नहीं हो पाएगा. सामान्य मौसम में एक 20 किलो वजन की बकरी को करीबन 700 मिलीलीटर पानी कि जरूरत होती है. गर्मी के मौसम में इससे डेढ़ गुणा पानी की जरूरत होती है. गंदा पानी अक्सर कई तरह की बीमारियों के कीटाणु पैदा करता है, इसलिए हमेशा साफ पानी ही पिलाएं.
आहार कैसे दें
बच्चों को अधिक मात्रा में दाना नहीं खिलाना चाहिए
दिए जाने वाले आहार की बर्बादी से बचाने के लिए बच्चों को कई बार में देना चाहिए
बकरी पालकों को आहार को बारिश से से बचाव के इंतजाम करना चाहिए
बकरी पालकों को आहार/आहार घटकों को उपलब्धता के समय खरीदना चाहिए क्योंकि इस समय सस्ते होते हैं
आहार अवययों का स्टोर 12 प्रतिशत नमी से कम पर करना चाहिए, नमी की अधिकता में फफूंदी का प्रकोप हो सकता है
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