नई दिल्ली. देश में पाई जाने वाली ज्यादातर बकरियों के नाम उनके इलाकों के नाम से पड़े हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट के मुताबिक बरबरी नस्ल के बकरों का नाम भी उनके मूल इलाके के नाम पर रखा गया था. ये बकरे अफ्रीकी देश सोमालिया के बेरिया इलाके के नाम से जाने जाते हैं. उत्तर भारत में इस नस्ल के बकरे और बकरियों की बहुत डिमांड खूब रहती है और अब इस नस्ल की बकरियां उत्तर प्रदेश की खास पहचान हैं. पशु पालक दूध-मीट और जल्दी-जल्दी ज्यादा बच्चे देने की वजह से इन्हें खूब पालते हैं. वहीं अरब देशों में इनके मीट की बहुत डिमांड रहती है. यूपी और राजस्थान में ज्यादातर बरबरे बकरे पाए जाते हैं. उत्तर प्रदेश में अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, इटावा और कासगंज जिले में बड़े पैमाने पर इनका पालन किया जाता है.
शहरी बकरी कहा जाता है
सीआईआरजी के बरबरी एक्सपर्ट एमके सिंह कहते हैं कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहते हैं. क्योंकि आसपास चराने की जगह न हो तो इसे खूंटे पर बांधकर या फिर छत पर रखकर भी पाला जा सकता है. यदि अच्छा चारा खिलाया जाए तो इसका वजन 9 महीने तक होने पर 25 से 30 किलो हो जाता है. जबकि एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. वहीं मैदान या जंगल में चराई कराई जाए तो एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.
क्या है इसकी पहचान, पढ़ें
सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एमके सिंह ने कहा कि बरबरी नस्ल के बकरे और बकरियों की पहचान करना है तो सबसे पहले कान और रंग देखें. क्योंकि 37 नस्ल के बकरे और बकरियों में बरबरी नस्ल ऐसी हैं जिसके बकरे और बकरियों के कान ऊपर की ओर उठे हुए नुकीले, छोटे और खड़े ही मिलेंगे. अगर रंग की बात करें तो सफेद रंग की खाल पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं. नाक चपटी और पीछे का हिस्सा भारी होता है.
अरब देशों में क्या है डिमांड
बरबरी नस्ल का बकरा वजन में 25 से 40 किलो तक का हो जाता है. देश के अलावा अरब देशों में बरबरी नस्ल के बकरे को खूब पसंद किया जाता है. क्योंकि यहां बरबरी बकरे को मीट के लिए बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. बता दें कि डिब्बा बंद मीट के साथ जिंदा बरबरे बकरे भी सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत के साथ ही ईरान-इराक में सप्लाई किए जाते हैं. देखने में भी बरबरी नस्ल के बकरे बहुत खूबसूरत होते हैं तो बकरीद के मौके पर लोग कुर्बानी पशु पालकों का मनचाहा दाम देने को तैयार हो जाते हैं.
देश में 20 लाख से ज्यादा है संख्या
पशु जनगणना के मुताबिक देश में बरबरी बकरे-बकरी की संख्या 20 लाख से ज्यादा है. बरबरी बकरे की नस्ल को बनाए रखने और इनके कुनबे को और बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार का संस्थान सीआईआरजी, फरह, मथुरा में कार्य किया जाता है. यहां यहां बकरी पालन से संबंधित कई तरह के कोर्स भी कराए जाते हैं. बरबरी नस्ल की बकरी के बच्चे भी मिलते हैं. जिसका इस्तेमाल ब्रीडिंग सेंटर चलाने के लिए किया जाता है.
बरबरी नस्ल के बकरे और बकरियों की खासियत
ये बकरी 13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक हो जाती है.
खास बात ये है कि 15 महीने में दो बार बच्चे देती है.
एक बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती है.
10 से 15 फीसदी तक बरबरी बकरी 3 बच्चे ही जन्म देती है.
बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देने की क्षमता होती है.
बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देने में सक्षम होती हैं.
देश में साल 2020-21 में बकरियों के 62.62 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था.
देश में दूध देने वालीं बरबरी नस्ल की बकरियों की संख्या करीब 15 लाख है.
देश में कुल 47.49 लाख बरबरे बकरे और बकरी हैं.
यूपी में- 38.96 लाख
मध्य प्रदेश- 5.88 लाख
कर्नाटक- 73.6 हजार
हरियाणा- 63.3 हजार
उत्तराखंड- 43.7 हजार
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