नई दिल्ली. जब लू चलने लगती है, तो पशुओं के लिए कई तरह की परेशानी खड़ी हो जाती हैं. आम इंसानों के साथ-साथ इसका असर गाय और भैंस और अन्य जानवरों पर भी होता है. गर्मी लू के थपेड़े की वजह से पशुओं को बचाना बहुत अहम होता है. पशु हीट स्ट्रेस में भी इस मौसम में ही होता है. खासतौर पर गर्मियों की दोपहर के वक्त पशुओं को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि पशुओं के हीट स्ट्रेस होते ही उनका दूध उत्पादन घट जाता है. जिसका नुकसान पशुपालकों को होता है. पशुपालक को इसका अन्य नुकसान ये होता है कि उन्हें दूध कम मिलता है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जब लू चलने लगे तो पशु आवास में साफ हवा जाने और दूषित हवा बाहर निकलने के लिए रौशनदान होना चाहिए.
गर्मी के दिनों में तो वैसे हर तरह के पशुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कुछ पशु अधिक संवेदनशील हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि सभी जानवरों को गर्मियों से ज्यादा बचाना चाहिए.
- पशु को ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाना भी बेहद जरूरी होता है.
- अगर पशुशाला में रौशनदान न हो तो तुरंत इसे बनवा लें. गर्म दिनों में पशु को 24 घंटे के अंदर कम से कम दो बाहर जरूर नहलाना चाहिए.
- दिन में नहलाएं और शाम को भी नहलाएं. जबकि ब्लैक स्किन होने के नाते भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना बेहद ही जरूरी है.
- अगर पशु 10 लीटर दूध दे रहा है तो कम से कम 30 लीटर पानी की आवश्यकता उसे होती है. जबकि गर्मी में और ज्यादा पानी देना चाहिए.
- संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए. ताकि उन्हें गर्मी से बचाया जा सके.
लू लगने पर करें ये काम: एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं को अगर लू लग जाए तो उनके शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ने पर वे बेहोश हो जाते हैं कई बार तो उनकी मौत हो जाती है. पशु को लू लगती है, तो उसे तुरंत हवादार ठंडी छायादार जगह पर ले जाना सबसे बेहतर काम है. इससे उन्हें काफी आराम मिलता है. वहीं अगर पशु का शरीर भार ज्यादा होने की वजह से उसे उठाने में कठिनाई महसूस हों तो वही पाल लगाकर उस पर छाया की व्यवस्था करें. ताकि धूप से उन्हें बचाया जा सके.
कम हो जाता है दूध: दुधारू पशुओं में भैंस की चमड़ी काली होती है और इस वजह से उसे गर्मी का अहसास ज्यादा होता है. गर्मी में भैंस दूध उत्पादन कम कर देती है. इसके चलते पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि भैंस की देखभाल की जाए. भैंस को अच्छा आहार दिए जाएं. भैंस के बाड़े में हो सके तो कूलर आदि की भी व्यवस्था की जाए. दिन में दो बार नहलाना भी चाहिए. इससे गर्मी का असर कम होता है.
क्या है हीटवेब: हीट वेव वायुमंडलीय तापमान की एक स्थिति है जो शारीरिक तनाव का कारण बनती है, जो कभी-कभी होता है. वहीं ग्रिड बिंदु पर तापमान सामान्य तापमान से 30 डिग्री सेल्सियस या अधिक हो सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि लगातार 3 दिन या उससे अधिक समय तक किसी भी स्थान का तापमान यदि 45 डिग्री सेल्यिस तक पहुंच जाता है तो इसे हीट वेव की स्थिति कहा जाता है.
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