नई दिल्ली. बकरी पालन एक अच्छा काम है. इसे करके अच्छी कमाई की जा सकती है. ये काम ये खासियत है कि इसमें ज्यादा पूंजी की भी जरूरत नहीं होती है. कम लागत में ही इसे किया जा सकता है. कम जगह में भी इस काम को किया जा सकता है. हालांकि इसकी तमाम जानकारी होना बेहद ही जरूरी है. तभी बकरी पालन के काम में फायदा हो सकेगा. पशुपालन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी पालन को अब कामर्शियल तौर पर किया जा रहा है. इससे कमाई भी हो रही है. कोई भी इस काम में हाथ आजमा सकता है.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में सबसे अहम नस्लों की जानकारी करना है कि कौन सी नस्ल बेहतर है और कहां कि है. इससे बकरी पालन में नुकसान से बचा जा सकता है. इस आर्टिकल में लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) आपको यही बताने जा रहा है. बता दें कि देश में तकरीबन बकरियों की 20 नस्लें पाई जाती हैं.
कहां किस नस्ल की बकरी मिलती है
उत्तरी ठंंडे क्षेत्र इसके तहत जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र आते हैं. यहां की मुख्य नस्लें गद्दी, चियांगथांगी व चेगू हैं. इस क्षेत्र की बकरियां रेशा (पश्मीना) व माँस उत्पादक होती हैं.
उत्तर-पश्चिमी शुष्क क्षेत्र के तहत राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात व मध्य प्रदेश के शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्र आते हैं. इस क्षेत्र की मुख्य नस्लें सिरोही, मारवाड़ी, जखराना, बीटल, बरबरी, जमुनापारी, मेहसाना, गोहिलवाड़ी, झालावाडी, कच्छी व सूरती हैं. ये नस्लें दूध व मांस उत्पादन में अच्छी होती हैं.
दक्षिणी क्षेत्र इसके अन्तर्गत महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु प्रदेशों के भाग आते हैं. इस क्षेत्र की नस्लें मुख्यतः संगमनेरी, उस्मानावादी व मालावारी हैं. ये नस्लें आमतौर पर मांस उत्पादक होती हैं.
पूर्वोत्तर क्षेत्र इसके अन्तर्गत बिहार, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा असम और देश के पूर्वोत्तर राज्य आते हैं. यहाँ पर बकरियों की दो नस्लें गंजम और बंगाल है. बंगाल नस्ल जनन क्षमता व मांस उत्पादन में विश्व प्रसिद्ध हैं.
निष्कर्ष
अगर आप बकरी पालन करते हैं तो अच्छी कमाई कर सकते हैं. इस आर्टिकल से आपको इसका अंदाजा हो गया होगा कि किस बकरी को किस चीज के लिए पाल सकते हैं, यानि दूध उत्पादन के लिए या फिर मीट उत्पादन के लिए.
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