नई दिल्ली. भारत में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है. बहुत से ऐसे पशु पालक और किसान हैं जिन्होंने बड़ी संख्या में बकरी पालन करके मोटी कमाई करना शुरू कर दिया है. पशुपालक और किसान अब इसे व्यवसाय के रूप में भी कर रहे हैं. इसे गरीब, किसानों का एटीम भी कहते हैं. अगर ठीक से बकरी पालन कर लिया जाए तो कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकता है. हां, अगर बकरी पालन की ठीक से जानकारी अपने पास है तो इनकम में कोई रुकावट नहीं आ सकती है. इसलिए फार्म शुरू करने से पहले जितनी हो सके बकरियों के बारे में जानकारी ले जी जाए. इसमें सबसे अहम जानकारी बकरी के गाभिन होने की. बकरी कब गाभिन होनी चाहिए और कब नहीं. बकरी के बच्चों को नुकसान किस समय पहुंचता है और कब नहीं. ये अहम जानकारी बकरी पालकों को होना बेहद जरूरी है.
बकरी पालन आज के दौर में देश की अर्थव्यवस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. खासतौर पर अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो पशुपालन के जरिए से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त आय किसान, पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाती है. यही वजह है कि परंपरागत खेती-किसानी को छोड़कर बहुत से लोगों ने नए तौर-तरीके अपनाकर बकरी पालन कर रहे हैं, जो दूसरे के लोगों के लिए प्रेरणादायत साबित हो रहे हैं. इसलिए इस व्यवसाय को शुरू करें लेकिन पहले चीजों की जानकारी जरूर कर लें. बकरी पालन में कुछ ऐसी अहम जानकारियां हैं, जिसे जानना बकरी पालकों के लिए बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कि वो कौनसी खास बात हैं, जो बकरी पालकों नुकसान होने से बचा ही नहीं सकती बल्कि मालामाल भी कर सकती है.
ये बकरी पालन का सही वक्त
बकरी पालन करना अब एक व्यवसाय बन गया है. बकरी पालन में कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका समय से पता चल जाए तो नुकसान से बचाया जा सकता है. इसमें सबसे अहम है बकरी के गाभिन का समय. पशुपालक और विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर बकरी को सही वक्त पर गाभिन करा दिया जाए तो एक सही वक्त पर बच्चा मिल सकता है और बकरी के बच्चों को बचाया भी जा सकता है. उत्तर भारत में बकरियों को गाभिन कराने का सही वक्त 15 सितंबर से लेकर नवंबर तक माना जाता है. वहीं 15 अप्रैल से लेकर जून महीने तक बकरी को गाभिन कराना चाहिए. सही वक्त पर बकरियों को गाभिन कराने से नवजातों मेमनों की मृत्युदर कम होती है.
बाड़े की सफाई होना बहुत जरूरी
पशुपालन में सफाई बहुत मायने रखती है. अगर सफाई पर ध्यान नहीं दिया तो बकरियों में बीमारियां पनप जाती हैं. इसलिए बाड़े को साफ-सुथरा रखना बेहद जरूरी है.नियमित रूप से सफाई करते रहेंगे तो जानवर को बीमार होने से भी बचाया जा सकता है. बकरी पालक जहां भी बकरी को बांधे वहां एक यो दो इंच मिट्टी की परत समय-समय पर पलट दें. अगर हम ऐसा करेंगे तो परजीवी निकल जाएंगे. बाड़े की मिट्टी जितनी सूखी रहेगी, उतनी ही बकरियों में बीमारियां कम लगेंगी. इतना ही नहीं बकरियों को पानी से दूर रखें. बकरियों को पानी पर तब ही ले जाएं, जब उन्हें पानी पीने की जरूरत है.
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