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Goat Farming: ये टिप्‍स अपनाए तो बीमार नहीं पड़ेंगे बकरे-बकरी, बढ़ेगा दूध और मीट

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बाड़े में चारा खाती बकरियां.

नई दिल्ली. ऐसा कौन है जो नहीं चाहेगा कि अगर वो बकरे-बकरी पाले और उसे ज्यादा प्रोडक्शन न मिले. ये प्रोडक्श चाहे दूध की शक्ल में हो या फिर मीट की शक्ल में. एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादा प्रोडक्शन लेने के लिए कुछ जरूरी काम हैं, जो पशुपालकों को करने चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक सबसे पहले तो बकरे-बकरी की हेल्थ का ख्याल रखना पड़ता है. इस व्यावसाय में बकरियों को स्वस्थ्य रहना बहुत जरूरी है. जिससे वे पूरा वजन देती हैं और दूध भी, जिससे ज्यादा फायदा हासिल होता है.

गाभिन बकरियों का देखभाल बहुत जरूरी है, इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है. गाभिन बकरी को तीन महीने के बाद अलग कर देना चाहिए और इस अवस्था में इसको मारने-पीटने, कसकर बांधना, दौड़ाना, तंग करना इत्यादि से परहेज करना चाहिए. बकरियों में संतुलित आहार और उचित देखभाल करके बीमारियों को कम किया जा सकता है. बकरियों को स्वस्थ्य रखने के लिए नीचे कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं, जिसपर अमल करना चाहिए.

ये काम जरूर करें
बाड़े में जरूरत से ज्यादा बकरी नहीं रखें.

मेमनों और गाभिन बकरियों को अलग रखें, बकरियों को साफ एवं ताजा पानी दें.

बाड़े को साफ-सुथरा रखें, इससे बकरियां बीमार नहीं पड़ती हैं.

नियमित रूप से टीकाकरण कराएं, ताकि बीमारियों से मवेशियों को बचाया जा सके.

नियमित रूप से कीड़ा मारने की दवा पिलाना जरूरी होता है.

ज्यादा धूप से बचाने के लिए छाया का प्रबंध करें.

सर्दी से बचाने के लिए अंगीठी का व्यवस्था करें.

दाना मिश्रण खिलाने के बर्तनों की हर दिन करें.

बकरी घर की सफाई रोज करें.

नवजात मेमनों, गाभिन बकरी एवं प्रसव के बाद मादा बकरी के रख-रखाव पर अधिक ध्यान दें.

बकरी के बीमार होने पर तुरंत उसे अलग कर दें.

नवजात मेमनों को मां का पहला दूध जन्म के आधे घंटे के अंदर पिलायें.

नर बच्चों का बंध्याकरण 2-3 माह के उम्र में करवाएं.

इन बीमारियों के वैक्सीनेशन कराएं
बकरे-बकरियों को नियमित रूप से टीकाकरण करना बेहद जरूरी होता है. खुरपका-मुंहपका एफएमडी रोग के लिए एक से दो एमएल डोज वाली वैक्सीन चमड़े में हर साल नवंबर से दिसंबर में लगाई जाती है. गलाघोंटू के लिए 2 एमएल मई और जून में वैक्सीन लगाना चाहिए. जहराबाद बीक्यू के लिए 2 एमएल मांस में जून में वैकसीन लगाना चाहिए. पकड़िया बीमारी के लिए 2 एमएल चमड़ा में मई-जून में लगवाना चाहिए. पीपीआर के लिए 1 से 2 एमएल चमड़े में हर साल में जून में लगाना चाहिए.

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