नई दिल्ली. वैसे तो बकरी पालन बहुत ही फायदे का सौदा है लेकिन इसके लिए एक शर्त है कि बकरी को बीमारी से बचाया जाए. देश के ऐसे कई राज्य हैं जहां पर बकरियां बड़े पैमाने पर पाली जाती हैं और वहां बकरी चेचक रोग बकरियों को बहुत प्रभावित करता है. इस बीमारी से बकरी के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. ऐसे भी बकरियों में उनके मेमने पहले ही बहुत सेंसेटिव होते हैं और उनकी अलग-अलग बीमारियों से मौत हो जाती है. कहने का मतलब ये है कि मेमनों में मृत्युदर बहुत ज्यादा होती है.
वहीं बकरी की चेचक बीमारी का असर भी उनपर ज्यादा होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर समय रहते इस बीमारी से बचाव नहीं किया जाता है तो बड़ा नुकसान हो सकता है. बच्चों की बहुत तेजी से मौत हो जाती है. इसलिए बकरी पालकों को इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में पता होना चाहिए. आइए इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में जानते हैं.
बकरी चेचक रोग इन इलाकों में है ज्यादा प्रभावी
बकरी चेचक रोग ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान एवं उनके आस-पास के क्षेत्रों में पाया जाता है. कहने का मतलब ये है कि इन इलाकों में बकरियो में ज्यादा ये बीमारी देखने को मिलती है. वहीं वर्तमान में यह रोग देश के अन्य भागों में भी देखा गया है. ब्लैक बंगाल प्रजाति की बकरियां इस रोग के प्रति काफी संवेदनशील होती हैं. यह रोग बकरियों की सभी अवस्था में होता है लेकिन छोटे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं. शरीर की चमड़ी पर इस रोग के चकत्ते/दाने मुख्य रूप से कान, होठ, थूथन व ऐसे सभी स्थानों की चमड़ी पर बाल रहित वाले स्थान पर पाये जाते हैं. रोग बढ़ने पर न्यूमोनिया हो जाता है. इस रोग में मृत्यु दर काफी ज्यादा होती है.
बचाव के वैक्सीन लगवाना चाहिए
इस रोग के फैलने वाले क्षेत्रों में टीकाकरण कराते हुए, इस रोग की रोकथाम की जा सकती है. बीमारी की रोकथाम हेतु बकरियों को स्वस्थ बकरियों से अलग रखना चाहिए. बीमार बकरियों के रहने का स्थान साफ सुथरा हवादार होना चाहिए. विशेषकर खुरंटों को साफ कर जलाकर गड्ढे में डाल देना चाहिए. इस रोग से बचाव हेतु बकरी चेचक का टीका लगाया जाता है जो 3-4 माह की उम्र के मेंमनों में प्रारम्भिक टीका 1 मिली. खाल में नीचे लगाते हैं. द्वितीय टीकाकरण 6 माह बाद लगाना चाहिये. यह टीका प्रतिवर्ष लगाया जाना चाहिए. बकरी पालकों को यह स्पष्ट करना है कि भेड़ों का चेचक का टीका, बकरियों में चेचक से बचाव हेतु नहीं लगाया जाता है.
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