Home मछली पालन Fisheries: मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए इन 100 गांवों में 200 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करेगी सरकार, पढ़ें डिटेल
मछली पालन

Fisheries: मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए इन 100 गांवों में 200 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करेगी सरकार, पढ़ें डिटेल

fish farming in pond
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. जो विशेष रूप से ग्रामीण तटीय क्षेत्रों में ​अजीविका, रोजगार और आर्थिक अवसर प्रदान करने में एक बेहतरीन भूमिका निभाता है. 8,118 किमी की लंबी तटरेखा, 2.02 मिलियन वर्ग किमी में फैले बड़े आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और समृद्ध अंतर्देशीय जल संसाधनों के साथ, यह क्षेत्र 3,477 समुद्री मछली पकड़ने वाले गांवों में रहने वाले लगभग 5 मिलियन समुद्री मछुआरों के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर, जैसे समुद्र का बढ़ता स्तर, गंभीर मौसम की घटनाएं और तापमान में उतार-चढ़ाव, मत्स्य उद्योग की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं.

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री और पंचायती राज मंत्रालय, राजीव रंजन सिंह ने 11 सितंबर 2024 को सुषमा स्वराज भवन, नई दिल्ली में मनाई गई चौथी पीएमएमएसवाई वर्षगांठ के अवसर पर तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100 तटीय गांवों को जलवायु लचीला तटीय मछुआरा गांवों (सीआरसीएफवी) के रूप में विकसित 200 करोड़ रुपये की यह पहल की शुरुआती की. जो बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के बीच मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए खाद्य सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ मछली पकड़ने, बुनियादी ढांचे में सुधार और जलवायु-स्मार्ट आजीविका पर ध्यान केंद्रित करेगी.

हर गांव को मिलेंगे दो करोड़ रुपये
इन चुनौतियों को पहचानते हुए, सरकार ने आवश्यक मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास के लिए पीएमएमएसवाई के तहत प्रति गांव 2 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस पहल को केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा और इसे मछुआरों के लिए टिकाऊ आर्थिक और आजीविका के अवसरों का समर्थन करने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और जलवायु खतरों के खिलाफ लचीलापन बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. पहल के तहत जलवायु-लचीले तटीय गांवों के रूप में विकास के लिए अपनाए गए गांव कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं और सभी 13 तटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया गया है.

इन गांवों के लोगों को मिलेगा फायदा
गुजरात में, पहचाने गए गाँव सचाना, नवी बंदर, माधवड़, मुलद्वारका, भट्ट, जोडिया, जूना बंदर और चोरवाड़ हैं. ओडिशा में, गांवों में पखराबाद, सनाधनदी, माझीसाही, किर्तानी, जंभिराई, अमरनगर, चूड़ामणि, जम्बू, खरनासी, तलचुआ, नोलियासाही, सना नलियानुगांव, न्यू बॉक्सिपल्ली, पतिसोनापुर, सहन, नोलियासाही, पेंथकाटा और अराखाकुडा शामिल हैं. महाराष्ट्र के चिन्हित गाँव हैं केलवा, अर्नाला, रंगाँव, गोराई ताल, नंदगाँव, कोरलाई, भरदखोल, श्रीवर्धन, वरवड़े, कालबादेवी, जयगढ़, निवाती, रेडी, टोंडावल्ली और सरजेकोट. कर्नाटक में उप्पुंडा मदिकल, कोटेश्वर, काडेकर, बैलुरु और मट्टादाहित्लू शामिल हैं, जबकि केरल की सूची में एराविपुरम, थोट्टापल्ली, अझीकल, पुथुवाइप, नजरक्कल और चिलकूर शामिल हैं. लक्षद्वीप में चेतलाथ द्वीप और अगत्ती द्वीप की पहचान की गई है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में दुर्गापुर, चिड़िया टापू, जंगलीघाट, होपटाउन और शोल खाड़ी शामिल हैं. तमिलनाडु ने पसियावरम, सेनजियाम्मन नगर, तिरुवन्मियुरकुप्पम, परमानकेनी, मंडवई पुधुकुप्पम, सी. पुथुपेट्टई, पुथुपेट्टई, अरकोटुदुरई, पुथुपट्टियम, कुमारपनवायल, सोलियाकुडी, कलिमनकुंडु, वीरपांडियन पट्टिनम, इदिन्थाकरई, अरोकियापुरम और एरायुमंथुराई जैसे गांवों का चयन किया है. आंध्र प्रदेश में पेदागंगल्लावनिपेटा, देवुनलतादा, इद्दिवनिपालेम, पथिवाड़ा बैरिपेटा, पेद्दा उप्पादा, पेंटाकोटा, कोनापापापेटा, सोरलागोंधी, गुल्लालामोडा, अदावी पंचायत, गोंडीसमुद्रम, पालीपालेम, ताड़ीचेतलापालेम, एडुरुपालेम और थुपिलिपालेम शामिल हैं. अंत में, पश्चिम बंगाल ने इस पहल के लिए अक्षयनगर, मदनगंज, डेरा, दक्षिण कडुआ और बगुरान जलपाई की पहचान की है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

seaweed
मछली पालन

Seaweed: यहां बन रहा है भारत का पहला समुद्री शैवाल सेंटर, जानें इससे क्या होगा फायदा

स्वदेशी समुद्री शैवाल प्रजातियों की जेनेरेटिक वैरायटी को बनाए रखने और हाई...

fish farming in cage
मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन को बढ़ावा देने और फायदेमंद बनाने के लिए सरकार ने की है कई पहल, पढ़ें यहां

फिशिंग हारबर्स और फिश लैंडिंग सेन्टर्स (एफएलसी) द्वारा इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर...

fish farming
मछली पालन

Fisheries: नदी-समंंदर से बाजार तक अब मिनटों में उड़ते हुए पहुंचेगी मछली

मछली पालन क्षेत्र में ड्रोन तकनीक की क्षमता का पता लगाने के...