Home पशुपालन Green Fodder: इन पेड़ों से मिलता है पशुओं को हरा चारा, ये काम करें तो पूरे साल चारे की टेंशन खत्म
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Green Fodder: इन पेड़ों से मिलता है पशुओं को हरा चारा, ये काम करें तो पूरे साल चारे की टेंशन खत्म

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में सालभर हरा चारा नहीं मिल पाता है. जबकि इसकी जरूरत सालभर होती है. क्योंकि पशुओं को हरा चारा खिलाने का कई फायदा होता है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि हरे चारे में विटामिन ए और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं, जिससे पशुओं को फायदा मिलता है. हरा चारा आसानी से पचने वाला स्वादिष्ट आहार होता है. इसलिए भी हरे चारे को दिया जाता है. हरे चारे से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे उन्हें बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और दूध उत्पादन में इजाफा होता है.

पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए पेड़ों की भी मदद ली जा सकती है. कई ऐसे पेड़ हैं, जिनसे पशुओं को अच्छा चारा उपलब्ध होता है. वहीं सालभर हरा चारा प्राप्त करने के लिए पशुपालक एवं किसान फसल चक्र को अपनाना चाहिए.

पेड़ों से हरा चारा कैसे हासिल करें
पशुपालक अपने पशुओं के लिए हरा चारा पेड़ों से भी हासिल कर सकते हैं, कुछ पेड़ों की पत्तियां एवं पातड़ियों का इस्तेमाल भी पशु चारे में लिया जा सकता है. लकड़ी के साथ-साथ पशुओं को चारा भी मिल सके ऐसे पेड़ों को भी किसान को अपने खेतों पर लगाना चाहिए. छायादार वृक्षों में नीम, पीपल, सीसम, जामुन तथा लकड़ी के साथ हराचारा प्राप्त करने के लिए बबूल, सेवरी, झाड़वेरी, अरडू, डाबेरी या टोरटेलिस, खेजड़ी आदि वृक्षों से प्राप्त किया जा सकता है. आमतौर पर हरा चारा जुलाई से अक्टूबर के बीच में जहां बारिश सामान्य तौर पर होती है, इस अवधि में ज्वार, मक्का, ग्वार, चेफेला ते पशुपालक हराचारा प्राप्त कर सकते हैं.

साइलेज भी बनाया जा सकता है
नवम्बर से फरवरी के बीच में बारिश केे मौसम में उगाया गया हरा चारा छाया में सुखाकर भंडारण कर सकते हैं, जिसे हराचारा उपलब्ध नहीं होने पर उपयोग में लिया जा सकता है. इसी तरह नवम्बर से फरवरी के बीच में बारिश के मौसम में ज्यादा उत्पादित हरे चारे को जब उस पर फूल आ जाए तो उन्हें काटकर स्टोरेज किया जा सकता है. पशुपालक हरे चारे की उपलब्धता के अनुसार खड्डा खोदकर एक दुधारू पशु के लिए लगभग 2 माह की जरूरत का साइलेज बनाकर भंडारित कर हरा चारा हासिल कर सकते हैं.

फसल चक्र को अपनाएं
वहीं सालभर हरा चारा हासिल करने के लिए पशुपालक और किसान फसल चक्र के अनुसार अपने खेतों में हरा चारा के बीज व पेड़ लगावें, इससे तय है कि पशु स्वस्थ रह सकेगा. वहीं ज्यादा दूध उत्पादन भी होगा. पशुपालन विभाग के तहत चारा विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसके तहत राजस्थान में पशुपालकों को फ्री व बिना फायदे—नुकसान के चारा बीज के मिनिकिट वितरित किये जाते हैं. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए सहायक निदेशक (चारा) पशुपालन विभाग जयपुर से सम्पर्क किया जा सकता हैं.

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