Home पोल्ट्री Poultry Farming: यहां पढ़ें, ग्रामीण इलाकों में कैसे शुरू हुई बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग और मिली कामयाबी
पोल्ट्री

Poultry Farming: यहां पढ़ें, ग्रामीण इलाकों में कैसे शुरू हुई बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग और मिली कामयाबी

poultry farming
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. ग्रामीण इलाकों में बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग आज के इस दौर में बड़े पैमाने पर की जाती है. हालांकि इसको सफल करने के पीछे बहुत प्रयास ​हुए हैं. ग्रामीण पोल्ट्री फार्मिंग को पीआर, आकाशवाणी, टीवी प्रोग्राम्स, हिंदी-अंग्रेजी समाचार पत्रों और कृषि मैगजीन के जरिए लोगों तक पहुंचाया गया है. फिर ये धीरे-धीरे गांव के लोगों के बीच ये लोकप्रिय बन गया. वहीं किसानों को किसी तरह की जानकारी, पूछताछ को, संस्थान में सीधे संपर्क से, डाक से लेटर के जरिए, ऑल इंडिया रेडियो, डीडी और अन्य माध्यमों के जरिए बताया जाता रहा.

निदेशालय द्वारा विकसित की गई पोल्ट्री किस्मों, वनराजा, ग्रामप्रिया और कृषिब्रो के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए, तीन भाषाओं (तेलगु, हिंदी और अंग्रेजी) में ब्रोशर बनाए गए. उन्हें प्रदर्शनियों में भाग लेने वाले तथा निदेशालय में आने वाले किसानों को वितरित किया गया तथा किसानों द्वारा मांगी गई जानकारियां डाक द्वारा भेजी गईं. रूरल एरिया में पोल्ट्री फार्मिंग के फायदे, ग्रामीण कुक्कुट पालन के लिए सुटेबल पोल्ट्री नस्लों और उनके पालन की प्रणालियों, कामर्शियल पोल्ट्री फार्म की स्थापना आदि के बारे में बताया गया.

सीडी बनाकर किसानों को दी गई
वहीं अनुमानित परियोजना लागत, आदि जानकारी को भी कई रंगों में प्रिंट किया गया था. उत्तर-पूर्व राज्यों में आईसीएआर अनुसंधान केंद्रों सहित सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में आपूर्ति की गई थी. ग्रामीण कुक्कुट पालन पर सभी तीन भाषाओं में दो वीडियो कार्यक्रम (प्रत्येक लगभग 15 मिनट के लिए) तैयार किए गए थे. जिनमें वनराजा और ग्रामप्रिया के साथ घर-आंगन / पोल्ट्री फार्मिंग के तमाम पहलुओं को टच किया गया. जिसमें मुर्गी पालन, आवास, फीड, स्वास्थ्य देखभाल और फायदों को शामिल किया गया था. इस प्रोग्राम्स की वीडियो सीडी बनाकर किसानों को दी गई.

ये कोशिशें की भी की गईं
निदेशालय के विभिन्न मेहमनों को संस्थान तथा निदेशालय द्वारा विकसित प्रौ‌द्योगिकियों से सम्बंधित सूचना देने के लिए इन कार्यक्रमों की जांच की जाती रही. संस्थान को ईमेल, फोन और लोगों से मुलाकातों द्वारा किसानों के पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर, रूरल एरिया में पोल्ट्री फार्मिंग पर सूचनाएं नियमित रूप से मुर्गी पालकों को उपलब्ध की गईं. संस्थान के वैज्ञानिक भी ग्रामीण और गहन मुर्गी पालकों के लाभ के लिए निदेशालय और अन्य जगहों पर विकसित नई टेक्नोलॉजी के प्रसार में सक्रिय रूप से शामिल रहे. टेक्नोलॉजी इकाई का ट्रांसफर, वनराजा, ग्रामप्रिया और कृषि ब्रो पोल्ट्री के पालन को लोकप्रिय बनाने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण / जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य, धन और जनता के कल्याण को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया गया.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Egg News, Egg Production, Egg Rate, Egg Export,
पोल्ट्री

Egg Production: अंडा वेज है या नॉनवेज इस तरह करें चेक, जानें कैसे काम करता है डिब्बा कैंडलर

जब भ्रूण इतना विकसित हो जाता है कि देखने पर पहचानना आसान...

Incubator Poultry Farm,Poultry Farm,UP Government,Poultry Farmer,Poultry Market,Chicken Rate,Egg Rate,Parent Bird, livestockanimalnews
पोल्ट्री

Poultry Farming: तेजी से ग्रोथ चाहते हैं तो चूजों की देखरेख के इन पांच तरीकों को जरूर अजमाएं

चूजों को तेज गर्मी, ठंड, बरसात, कई प्रकार की बीमारियों, चील-कौओं से...

poultry farming
पोल्ट्री

Poultry Farming: मुर्गियों में कब करना चाहिए डीवॉर्मिंग, क्या है इसका सही तरीका ये भी जानें यहां

एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गियों में कीड़ों का रोकना और उपचार बेहद...