नई दिल्ली. पशुओं में भी भी टीबी का रोग भी हो जाता है. यह बीमारी गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि में हो जाती है. इसके अलावा यह पक्षियों में भी पाई जाती है. टीबी रोग के बारे में एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि यह बीमारी संक्रामक है. इसलिए पशुओं से ज्यादा मनुष्यों में भी फैलती है. पशुओं में ये बीमारी माइकोवैक्टिरियम नाम के बैक्टीरिया से फैलती है. इंसानों में यह संक्रमण संक्रमित पशुओं के दूध पीने से भी फैल सकता है. जबकि एक पशु से दूसरे पशु के संपर्क में आने से भी यह बीमारी आसानी के साथ प्रसार कर जाती है.
इस आर्टिकल में हम आपको पशुओं में टीबी रोग कैसे होता है, इसके लक्षण क्या हैं और रोकथाम का क्या तरीका है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं. डॉक्टर इब्ने अली का कहना है कि इस बीमारी को पशुओं में प्रसार से रोका जा सकता है लेकिन इसके लिए जरूरी एतियात जरूर बरतना चाहिए.
लक्षण के बारे में पढ़ें यहां
बीमारी में लंबे समय तक खांसी आती है. जबकि पशुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है. भूख में कमी हो जाती है और चमड़ी सूख जाती है. जबकि कार्य क्षमता में कमी हो जाती है. पशुओं की ग्रंथियां के आकार में भी वृद्धि हो जाती है. इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को हल्का बुखार 102 से 103 डिग्री फारेनहाइट तक रहता है. कभी-कभी थनैला रोग की समस्या भी हो जाती है.
क्या है निदान, पढ़ें यहां
रोगी पशुओं को तुरंत अन्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए. संक्रमित पशुओं को पशु चिकित्सा के पास ले जाकर इलाज करवाना चाहिए. ताकि समय रहते ही इसका इलाज हो जाए और अन्य पशुओं को यह बीमारी न लगे. ये भी जान लें कि इस बीमारी के रोकथाम में बहुत समय लगता है. इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते ही इसका इलाज शुरू कर दिया जाए.
इस तरह करें रोकथाम
खनिज तत्वों में विटामिन से भरपूर पौष्टिक आहार पशुओं के देना चाहिए. जबकि बाड़े में पर्याप्त स्थान होना भी बेहतर होता है. बाड़े में पशुओं के प्रबंधन को बेहतर ढंग से करना चाहिए. साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी होता है. बीमारी का खतरा कम करने के लिए रसायनों से मिलकाकर घोल तैयार करें और इसका छिड़काव करें. जिसमें दो से चार प्रतिशत तक फारमेलिन 5 फीसदी चूना, 5 परसेंट फिनायल और फीसदी तूतिया का इस्तेमाल किया जाता है. अगर पशुपालक इन कामों को कर लें तो टीबी रोग से पशुओं को बचाया जा सकता है.
Leave a comment