नई दिल्ली. ये बात फैक्ट है कि हरे चारे की कमी हो रही है. इसके चलते पशुओं को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता है. जबकि डेयरी व्यवसाय के लिए ये जरूरी है कि पशु ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन करे और ये तभी हो सकेगा कि जब पशुओं को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा भी मिले. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि हरे चारे की कमी के कारण पशुओं का उत्पादन घट जाता है. हरे चारे की कमी खासतौर पर गर्मियों में और ठंड दोनों में कम हो जाती है. इस कारण पशुपालकों को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
एक्सपर्ट का कहना कि पशुधन के विकास के लिए और उत्तम प्रजनन के साथ-साथ उत्पादन क्षमता का भी विशेष महत्व है. पशुधन की यह उत्पादन क्षमता हरे चारे पर निर्भर करती है. पशुओं के लिए हरा चारा का महत्व उसी प्रकार है जिस प्रकार से इंसानों के लिए रोटी के साथ दाल और सब्जी का है. इसलिए पशुओं की दूध क्षमता बढ़ाने के लिए पशुओं को सही मात्रा में हरा चारा खिलाना बहुत जरूरी होता है.
आहार पर सबसे ज्यादा होता है खर्च
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में दूध और अन्य उत्पादन लेने के लिए पशुपालन व्यवसाय में सबसे अधिक खर्च पशुओं को दिये जाने वाले आहार पर ही होता है. क्योंकि शरीर की विभिन्न क्रियाओं को चलाने के लिए भी भोजन ही ताप के रूप में जानवरों को ताकत देता है. भोजन या आहार नियमित शारीरिक क्रियाओं के अतिरिक्त दूध, ऊन व मांस उत्पादन के लिये आवश्यक है. अगर इसकी कमी हो जाए तो फिर उत्पादन पर बेहद बुरा असर पड़ता है.
पशुओं के आहार में क्या-क्या होता है
पशुपालक एवं किसान अपने पशुओं को सूखा भूसा, कड़वी, आदि खिलाते हैं, जिसमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं. पशुओं को पौष्टिक आहार खिलाने का मतलब है कि पशु के भोजन में वह सभी तत्व एक निश्चित अनुपात व मात्रा में होने चाहिए जो कि पशु को अपने शरीर की रक्षा और उनसे होने वाले उत्पादन के लिए आवश्यक हों. इनमें मुख्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा व खनिज लवण के तत्व पाये जाते हैं.
चाव से हरा चारा खाते हैं पशु
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि हरा चारा में लगभग ये सभी तत्व पशुओं को मिल जाते हैं तथा जो थोड़ी बहुत कमी होती है. वो सन्तुलित आहार के माध्यम से पूरी हो जाती है. एक्सपर्ट के मुताबिक हरे चारे की ये भी खूबी होती है कि इस चारे को पशु बड़े चाव से खाता है, पौष्टिक हरा चारा उनके दुग्ध उत्पादन, ऊन उत्पादन एवं कार्य क्षमता को बढ़ाता है. अगर किसान अपने खेत में हरे चारे का उत्पादन करें तो उन्हें ये सस्ता पड़ेगा.
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