नई दिल्ली. मुर्गों में भी मिलावट की जाती है. हो सकता है आप ये सुनकर चौंक जाएं लेकिन ये सच्चाई है. खासतौर पर फरवरी और मार्च में मुर्गों में मिलावट का दौर चलता है. एक्सपर्ट की मानें तो मुर्गों में मिलावट की पहचान करना ज्यादा मुश्किल नहीं है. अगर आप ब्रॉयलर चिकन और लेयर बर्ड के बारे में थोड़ा सी जानकारी कर लें तो इस मिलावट को आसानी से पहचान सकते हैं. आपको बता दें कि चिकन बेचने वाले दुकानदार महंगे ब्रॉयलर में सस्ती लेयर बर्ड की मिलावट करते हैं. क्योंकि ब्रॉयलर के मुकाबले लेयर बर्ड दुकानदारों को काफी सस्ती पड़ती है और उन्हें ज्यादा फायदा होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लेयर बर्ड एक साल में 280 से 290 तक अंडे देनी वाली मुर्गियों को कहते हैं. देश में रोजाना करीब 22 करोड़ अंडे का कारोबार होता है. जबकि 30 दिन में ब्रॉयलर चूजा 900 से 1150 ग्राम का हो जाता है जो तंदूरी चिकन में इस्तेमाल होता है. ब्रॉयलर चिकन के रेट उसके वजन के हिसाब से तय होते हैं. ब्रॉयलर चिकन जितना भारी होता है उसके रेट उतने ही कम होते हैं. अकेले गाजीपुर, दिल्ली मंडी से रोजाना 5 लाख ब्रॉयलर मुर्गों की सप्लाई होती है.
ब्रॉयलर मुर्गियों का इस्तेमाल
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रॉयलर चिकन वह है जो बाजार में चिकन फ्राई, चिकन टंगड़ी, चिकन टिक्का और तंदूरी चिकन के नाम से बिकता है. चिकन बिरयानी भी इसी की बनती है. खासतौर पर चिकन करी के लिए घरों में भी यही बनाया जाता है. बाजार में आजकल फ्रेश बॉयलर चिकन का भाव 200 से 220 रुपये किलो है. इसे लोग बाजार से लाते हैं और खूब चाव से खाते हैं.
कब तक अंडा देती हैं लेयर मुर्गियां
लेयर मुर्गी अंडा देने का काम करती है. बाजार में जो सफेद रंग का 6 से 7 रुपये का अंडा बिकता है वह लेयर बर्ड का होता है. लेयर बर्ड का पालन सिर्फ और सिर्फ अंडे के लिए किया जाता है. दो से सवा दो साल तक ये मुर्गियां अंडा देती हैं. इसके बाद इसे रिटायर कर दिया जाता है. जिसके चलते पोल्ट्री फार्म वाले इसे बहुत ही कम कीमत में दुकानदारों को बेच देते हैं.
ये भी है फर्क, पढ़ें यहां
लेयर पतली दुबली पौने दो किलो तक वजन रखती है.
ब्रॉयलर मोटी और 3 किलो वजन तक की होती है.
लेयर बर्ड के शरीर पर चर्बी नहीं होती है.
ब्रॉयलर के शरीर पर चर्बी होती है. इससे ये मोटी नजर आती है.
लेयर बर्ड के शरीर पर घने पंख होते हैं.
ब्रॉयलर के शरीर पर पंख बहुत कम होते हैं.
लेयर बर्ड के सिर पर लाल गहरी सुर्ख रंग की बड़ी सी झुकी हुई कलंगी भी होती है.
ब्रॉयलर में बहुत छोटी सी कलंगी होती है. इसका रंग भी थोड़ा दबा हुआ होता है.
लेयर के पंजे यानी पैर पतले होते हैं. जबकि बॉयलर के पंजे मोटे होते हैं.
लेयर काफी फुर्तीली होती है इसे खुला हुआ छोड़ दिया जाए तो पकड़ना मुश्किल हो जाता है. वह ब्रॉयलर मोटी होने के चलते दौड़ नहीं सकती है.
कुक करने का दौरान लेयर का मीट अच्छी तरह से नहीं गलता है.
ब्रॉयलर का मीट आसानी के साथ पक जाता है.
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