नई दिल्ली. कामयाब और फायदेमंद पशुपालन के लिए उचित चारा प्रबन्धन की आवश्यकता होती है. चारा सूखा एवं हरा दो प्रकार का होता है. सूखा चारा तो पशुओं को सभी खिलाते हैं लेकिन हरा चारा भी पशुओं को कुछ मात्रा में सूखे चारे के साथ खिलाना चाहिए. खासतौर पर दूध देने वाले पशुओं को हरा चारा अधिक व क्वालिटी वाला दूध हासिल करने के लिए खिलाना चाहिए. हरा चारा खिलाने के कई फायदे हैं. सूखे चारे में हरा चारा मिलाकर खिलाने से जानवर सूखे चारे को भी आराम से खा लेते हैं. इस तरह से सूखे चारे का अच्छा उपयोग भी हो जाता है.
हरा चारा खिलाने से पशुओं को संतुलित पोषण मिलता है और कई बीमारियों से पशुओं का बचाव हो जाता है. रिसर्च के आधार पर यह कहा जाता सकता है कि दुधारू गाय और भैंस को अन्य पशु आहार के साथ 10 किलोग्राम हरे चारे की प्रतिदिन जरूरत होती है. दूधे देने वाली बकरी को 2 किलोग्राम हरा चारा अन्य चारे के साथ खिलाना चाहिए. ऊंट को भी 10 कि.ग्रा. हरे चारे की प्रति दिन आवश्यकता होती है.
इन फसलों को उगाया जाता है
उचित चारा प्रबन्धन के लिए किसान को अपने सभी चारे के स्त्रोतों को अपने खेत पर लगा कर उससे अधिक से अधिक चारा प्राप्त करके अपनी जरूरत की पूर्ति के साथ ही अधिक मात्रा में प्राप्त चारे का भंडारण उचित प्रकार से करना चाहिए. चारे के कई सोर्स हैं. फसलें, घास (एक वर्षीय व बहुवर्षीय), झाड़ियां, पेड़ आदि. सूखा चारा खासतौर पर किसान दाने वाली फसलों से दाना निकालने के बाद शेष बचे भूसे से प्राप्त करते हैं. हरा चारा उत्पादन करने के लिए पूरे साल हरा चारा उत्पादन देने वाली फसलों को फसल चक्र में शामिल करना जरूरी होता है. राजस्थान में हरे चारे के लिए मुख्यता उगाई जाने वाली फसलें हैं. बाजरा, ज्वार, मक्का, चंवला, ग्वार, जई, रिजका, बरसीम, जौ आदि.
इस तरह पशुओं को खिलाना चाहिए
हरे चारे के लिए इन फसलों को उगा कर फूल आने के बाद, पकने से पहले, काट कर हरेपन की स्थिति में पशुओं को कुट्टी काट कर या सीधे ही खिलाया जाता है. वर्ष भर हरा चारा उत्पादन के लिए इन फसलों की बुवाई का समय खरीफ ऋतु में जुलाई-अगस्त, रबी में अक्टूबर-नवम्बर व गर्मियों में मार्च-अप्रैल होता है. हरे चारे में ज्वार, बाजरा व मक्का के हरे चारे के साथ दलहनी फसलें जैसे चंवला या ग्वार का हरा चारा भी मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिए. इससे पशुओं को संतुलित पोषण मिलता है. हरा चारा पशुओं को खिलाने में कुछ सावधानियां रखनी चाहिए. दलहनी हरा चारा जैसे ग्वार, चंवला, रिजका आदि अकेले ही पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए.
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