नई दिल्ली. पशुपालन में कई बातों का ख्याल करना होता है. अगर पशु किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाता है तो उसके शव का निस्तारण करना बहुत जरूरी होता है. साइंटिफिक तरीके से अगर शव का निस्तारण न किया जाए तो फिर पशु के जरिए अन्य जानवरों को भी बीमारी हो जाती है. इसके चलते अन्य पशुओं की मौत हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि सही ढंग से निस्तारण किया जाए. एक्सपर्ट के मुताबिक पशु-शव का निबटारा-मृत पशुओं का शव इधर उधर नहीं फेंकना चाहिए.
गांव के बाहर गड्डा खोदकर उसमें गाड़ देना चाहिए. शव को गाड़ने पर उसके ऊपर से चूना छिड़क देना चाहिए. जिससे कीटाणुओं का नाश हो जाए. एंथ्रेक्स से मरे पशुओं को गाड़ने पर सल्फ्यूरिक एसिड बालू में मिलाकर ऊपर से डाला जाता हैं. इसके अलावा अन्य रासायनिक पदार्थ भी प्रयोग में लाया जा सकता हैं. जैसे-संक्षारकउदात्त (Corrosive sublimate), एसिड कार्बोलीक (Acid Carbolic), क्लोराईड ऑफ लाइम (Chloride of lime), खाने वाला चूना, नमक इत्यादि.
जलाया भी जा सकता है जानवर का मृत शरीर
एक्सपर्ट कहते हैं कि जब जानवरों को गाड़ा जाए तो इस बात का ध्यान जरूर दें कि गढ़ा इतना गहरा होना चाहिए जिससे कि कुत्ते या गीदड़ उस शव के साथ छेड़छाड़ न कर पाएं. अक्सर ये होता है कि कुत्ते और गीदड़ कम गड्डे के कारण शवों को गड्डे से बाहर निकाल लेते हैं और उसे खाने लग जाते हैं. इसके चलते हवा के जरिए भी बीमारी फैल सकती है. इसलिए जरूरी है कि शव गड्डे से बाहर न निकल सकें. यदि यह सम्भव नहीं हो तो शव को लकड़ी आदि के साथ आग लगाकर जला देना चाहिए. इससे ये कहा जा सकता है कि शव को सही ढंग से निस्तारित कर दिया गया है.
कभी घसीटकर न ले जाएं
वहीं कई बार मृत पशु के नाक, मुंह या किसी अन्य अंग से यदि किसी प्रकार श्राव बहता हो तो उसमें कीटाणुओं के रहने तथा बीमारी फैलने की आशंका रहती हैं. तब रूई या सन अथवा पटुआ को फिनाईल या डेटाल के घोल में भिंगोकर उस श्राव को बन्द कर देना चाहिए. क्योंकि शव को ले जाते समय रास्ते में श्राव के गिरने से बीमारी फैलने का खतरा रहता है. शव को घसीट कर नहीं ले जाना चाहिए. उसे टांग कर अथवा बैलगाड़ी पर लादकर गाड़ने के स्थान तक ले जाना अच्छा है. यदि पशु पिल्ही रोग यानी एंथ्रेक्स से मरा हो तो किसी भी हालत में नहीं खोलना चाहिए बल्कि शव को गाड़ देना चाहिए या तो जला देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर रोग फैलने का भय बना रहता हैं.
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