नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है. इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है. मछली पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले मछली बीज संचय (Accumulation) करना जरूरी होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसके लिए प्रजाति का सेलेक्शन करना होता है. जिसमें रोहु, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प एवं सिल्वर कार्प के जरिए मछली पालन किया जा सकता है. वहीं इसके बाद प्रजाति का रेशियो उपलब्धता और मौसम के मुताबिक तय करना एक दूसरा अहम काम होता है. अगर रेशियो तय करना है तो इस तरह किया जा सकता है. कतला-40 फीसदी, रोहु-20 फीसदी मृगल-20 फसदी, कॉमन कार्प-20 फीसदी रख सकते हैं.
वहीं सिल्वर कार्प-40 फीसदी, रोहू-20 फीसदी, मृगल-30 परसेंट, चास कार्य-10 परसेंट रखना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि सबसे बेहतर रेशियो ये है कि कतला-50 फीसदी, रोड-30 फीसदी, मृगल-10 फीसदी, ग्रास कार्प-10 परसेंट रखा जाए. वहीं कतला-20 फीसदी, सिल्वर कार्य-20 फीसदी, रोहु-40 फीसदी, ग्रास कार्प-10 फीसदी और कॉमन कार्प-10 फीसदी रखा जा सकता है. इसके अलावा एक और तरीका और जो ठंड के समय में इस्तेमाल होता है. इसके मुताबिक सिल्वर कार्प 40 फीसदी, ग्रास कार्प -20 परसेंट और कॉमन कार्प-10 परसेंट रखते हैं.
ईयरलिंग का कितना होना चाहिए साइज
ईयरलिंग जिसे सालभर का बीज कहते हैं कि इसकी औसत लम्बाई 150-200 मीमी होनी चाहिए. वहीं औसत वजन 50-100 ग्राम रहता है. जबकि 4 बीज संचय का बेहतरीन समय सुबह 8 बजे से 10 बजे तक होता है. मछली बीज संचयन का महीना फरवरी और जुलाई का माना जाता है. संचय के बाद हर महीने उर्वरक का प्रयोग करें. रासायनिक और जैविक उर्वरक के प्रयोग का गैप 15 दिन का होना चाहिए. उर्वरक के इस्तेमाल से 2 दिन पूर्व 10-15 किलोग्राम एकड़ की दर से चूने का तालाब में घोल कर छिड़काव करें.
जानें कब करना है गोबर का छिड़काव
प्रत्येक माह के प्रथम तारीख को मवेशी का गोबर-400 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल कर छिड़काव करें. हर महीने की 15 तारीख को रासायनिक खाद के रूप में सिंगल सुपरफॉस्फेट (या) डीएपी का इस्तेमाल 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल कर छिड़काव करना चाहिए.
वहीं पानी में प्लैकटन (प्लवक) की मात्रा बढ़ाने के लिए हर महीने प्लैकटन बढ़ाने वाली दवा जैसे जलीय प्रोबायोटिक्स/जिंक सल्फेट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मछलियों के जल्द ग्रोथ के लिए खजिन मिश्रण 10 ग्राम प्रति किलोग्राम मत्स्य आहार में मिलाकर मछलियों को खिलाएं. खनिज तत्व सही रूप से आहार में मिले, इसके लिए बाइंडर का इस्तेमाल 30 मिली प्रति किलोग्राम आहार की दर से करें.
प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल करें
मछलियों के जल्द ग्रोथ लिए प्रोबायोटिक्स का प्रयोग 5 से 10 या प्रति किलोग्राम या आहार के साथ मिलाकर मछलियों को खिलाने में करें. गर्मी के समय में महीने में एक बार एवं जाड़े के समय महीने में दो बार जाल चलाएं. जलीय प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 30 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. मृदा प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से नमीयुक्त बालू में भी मिला कर छिड़काव किया जा सकता है. चूने का इस्तेमाल प्रति 15 दिन पर पीएच मान के अनुसार 10-15 किलो प्रति एकड़ की दर से करें.
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