नई दिल्ली. बकरी पालन कैसे किया जाए. बकरी के दूध का बाजार कैसे और कहां से सर्च करें. इसके अलावा मीट एक्सपोर्ट में कोई परेशानी न आए इसके लिए बकरों को क्या-क्या और कैसा खिलाया जाना चाहिए. इन सब समस्याओं का हल करने के लिए पूरे दो दिन तक बकरे-बकरियों देशभर से आए साइंटिस्ट करेंगे. पशु पालकों को टिप्स दिया जाएगा. गौरतलब है कि देश में 37 में खास नस्ल की बकरियां हैं, जिनकी प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. गोट कॉन्लेव के मौके पर कॉन्लेव का आयोजन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा की ओर से किया जा रहा है. बता दें कि अभी तक सीआईआरजी हर साल बकरी मेले का आयोजन करता रहा है. अब ये पहला मौका हो कि जब गोट कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है. हालांकि कुछ वीआईपी मेहमानों के कारण कॉन्लेव की तारीख तय नही हो पा रही है लेकिन जल्द ही अनाउंस हो सकती है.
वहीं केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा द्वारा गोट कॉन्क्लेव का आयोजन मथुरा या आगरा में करने की बात कही जा रही है. हालांकि अभी जगह तय नहीं है लेकिन कॉन्क्लेव के दौरान बरबरी, जखराना, जमनापारी और बीटल नस्ल की बकरियों का प्रदर्शन भी किया जाएगा, ये बात तय है. इस संबंध में सीआईआरजी के डायरेक्टर डॉ. मनीष कुमार चेतली ने किसान तक को बताया कि दो दिन के गोट कॉन्क्लेव में पहला दिन साइंटिस्ट का होगा. साइंटीफिक सभी तरीके से बकरी पालन कैसे किया जाए और कृत्रिम गर्भाधान पर बकरी पालकों को जानकारी देंगे. वहीं बकरे-बकरियों का दाना, चारा और पीने का पानी कैसा हो इस पर भी जानकारी दी जाएगी. मौसम के हिसाब से बकरी पालन कैसे करें इस पर जागरुक किया जाएगा.
साथ ही साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने वाले बकरी पालक अपने अनुभव भी साझा करेंगे. इसके अलावा बकरी के दूध-मीट के कारोबार से जुड़े लोग इसके बाजार पर चर्चा होगी. इतना ही नहीं बकरियों के दाना-चारा तैयार करने वाली कंपनियां, दवाओं को बनाने वाली कंपनियां और बकरियों के लिए आवास तैयार करने वाली कंपनियां भी इस गोट कॉन्क्लेव में आमंत्रित की गईं हैं. सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का कहना है कि हमारा संस्थान 756 एकड़ जमीन पर है. यह मखूदम गांव में फरह, मथुरा में स्थित है. यहां बरबरी, जमनापारी, जखराना और बीटल नस्ल के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की पहले ही ट्रेनिंग दी जाती है. संस्थान में तीनों ही नस्ल के बकरे-बकरी के साथ ही भेड़ भी है. समय-समय पर भेड़-बकरी पर रिसर्च भी होती रहती है. भेड़-बकरी पालन की अलग-अलग बैच बनाकर ट्रेनिंग भी दी जाती है. हमारी बेवसाइट पर इसकी पूरी जानकारी दी जाती है.
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