नई दिल्ली. जो लोग बकरी का कारोबार करना चाहते हैं वो ये भी जान लें कि बकरी पालन हर तरह से सूदमंद है. बकरी के दूध और मीट से जो फायदा होता है तो होता ही है, बल्कि उसकी मेंगनी भी बकरी पालकों की कमाई कराती है. इससे हर महीने एक बड़ी इनकम होती है. यदि आपके खेत है और उसमें आप चारा या फिर दूसरी फसल उगाते हैं तो यह सोने पर सुहागा साबित हो सकता है. वहीं इस संबंध में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट ने कहा कि गोबर और दूसरी खाद के मुकाबले बकरी की मेंगनी से बनी खाद बहुत ही ज्यादा गुणवत्ता वाली मानी जाती है. यही वजह है कि यूपी के एक बकरी पालक ने बताया कि बकरी की मेंगनी लेने के लिए किसान उनके यहां बुकिंग तक कराते हैं.
वहीं इस संबंध में साइंटिस्ट का कहना है कि बकरी की मेंगनी को दो तरह से बेचा जा सकता है. एक तो इसे सीधे भी बेचा जा सकता है और दूसरा तरीका ये है कि इसकी कम्पोस्ट और वर्मी वर्मी कम्पोस्ट बनाकर भी बेच सकते हैं. जबकि उन पशु पालकों की भी कमी नहीं है जो अपनी जमीन पर पशु का चारा उगाना बेहतर समझते हैं. ऐसी कंडीशन में खेत में बकरी की मेंगनी का इस्तेमाल खाद के तौर पर करने से गजब का फायदा होगा. जबकि बकरी की मेंगनी ऑर्गनिक खेती के लिए भी एक अच्छा स्त्रोत है. इस संबंध में पशु पालक राशिद कहते हैं कि मौजूदा दौर में खेती के क्षेत्र में बकरी की मेंगनी की बहुत ज्यादा मांग हो रही है. इसके लिए तो किसान एडवांस पैसा भी देने को तैयार रहते हैं. कहा कि आलू, गाजर, मूली, शलजम और शकरकंदी की खेती करने वाले खासतौर पर बकरी की मेंगनी का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि किसान बताते हैं कि खेती में बकरी की मेंगनी का इस्तेमाल करने से उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ता है.
मेंगनी को लेकर साइंटिस्ट ने क्या कहा
वहीं सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि फसल चारे की हो या फिर किसी दूसरी चीज की. हर फसल को खाद के तौर पर नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस की बहुत आवश्कता होती है. यही वजह है कि बकरी की मेंगनी मुफीद है. इसकी मेंगनी में तीन फीसद नाइट्रोजन, दो फीसद पोटेशियम और एक फीसद फॉस्फोररस पाया जाता है. मेंगनी की कुछ और खासियत यह भी हैं कि यह मिट्टी में मौजूद भौतिक और रसायनिक गुणों में पॉजिटिव बदलाव कर देती है. इतना ही नहीं मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी ये बढ़ाने में कारगर है. जबकि दूसरी किसी भी खाद में यह गुण बिल्कु ल भी नहीं हैं या कम हैं.
डॉ. आरिफ आगे कहते हैं कि हम संस्थान में बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले किसानों को ऑर्गेनिक चारा उगाने के बारे में जानकारी मुहैया कराते रहते हैं. जबकि संस्थान खुद भी अपने खेतों में ऑर्गेनिक चारा उगाता है. ऑर्गनिक चारे के लिए मेंगनी के इस्तेामाल पर कई साल से संस्थान में रिसर्च की जा रही है. इसके अलावा हमने ऑर्गनिक चारे के लिए जीवामृत, नीमास्त्रह और बीजामृत भी बनाया गया है. कहा कि जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गोबर-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाते हैं. बनाने के लिए इन सभी चीजों को मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा दिया जाता है इसी का फायदा चारे को मिलता है.
कैसे होती है हजारों रुपये इनकम
मथुरा, यूपी के बकरी पालक राशिद का कहना है कि यदि किसी बकरी फार्म में 200 बकरी हैं तो यह तय मान लीजिए कि 25 से 30 दिन में एक ट्राली मेंगनी इकट्ठा हो जाएगी. अगर मेंगनी की इस ट्राली को बेच दिया जाए तो करीब 1200 रुपये से लेकर 1400 रुपये तक की बिक जाती है. वहीं अगर हम इसे वर्मी कम्पोस्ट बनाकर बेचते हैं तो यह आठ से 10 रुपये किलो तक बेची जा सकती है. वर्मी कम्पोेस्टर बनाने में थोड़ी मेहनत है लेकिन मुनाफा देगी.
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