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Goat Farming: बकरी को चारे और दाने को बर्बाद करने से कैसे रोकें, क्या है इसका तरीका यहां पढ़ें

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बरबरी बकरी की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बकरी पालन जब शुरू करें तो आपको ये मालूम चल जाएगा कि इसमें सबसे ज्यादा लागत चारे में लगती है. हालांकि जो किसान बकरी पालन से जुड़े हैं उन्हें इस बात की बखूबी जानकारी है. यही वजह है कि सभी बकरी पालक चाहते हैं कि बकरी पूरा का पूरा चारा खाए, किसी भी तरह से चारे या दाने का नुकसान न हो. अगर बकरी का चारा और दाना जमीन पर गिरता है तो फिर दोबारा उसे खिलाया नहीं जा सकता है और ऐसे में चर्चा बर्बाद हो जाता है. जबकि बकरी को उसकी जरूरत के मुताबिक चारा देना ही पड़ता है.

यही वजह है किसान अक्सर इसको लेकर परेशान रहते हैं कि कैसे चारे की बर्बादी को रोका जा सके. आपको बता दें कि सीआईआरजी मथुरा ने ऐसा ही एक उपकरण तैयार किया है, जिससे चारे की बर्बाद को रोका जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर किसान इस उपकरण का इस्तेमाल करते हैं तो चारे की बर्बादी को रोक सकते हैं और इससे चारे पर होने वाला अतिरिक्त खर्च भी रोका जा सकता है. जिसका सीधा सा मतलब है कि इसका फायदा बकरी पालकों को मिलेगा.

कितना चारा और दाना खाती है बकरी
एक्सपर्ट कहते हैं कि जब बकरी पालन की शुरुआत होती है तो कई व्यवस्थाएं करनी पड़ती है लेकिन दाने तथा चारे एक ऐसी चीज है, जिसमें गोट पालकों को सबसे ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है. बकरी पालकों की सबसे ज्यादा लागत इसी चीज पर लगती है. एक्सपर्ट का कहना है कि औसतन एक दुधारू बकरी को दिन में 3 से 4 किलोग्राम हरा चारा और सूखा चारा की जरूरत होती है. इसे ऐसे सभी समझ सकते हैं कि 30 किलो की बकरी को किलो चारा दिया जाता है. इसके अतिरिक्त प्रति एक किलो ग्राम दूध के लिए 300 ग्राम तक दाना दें दाना की मात्रा को दिन मे दो बार बराबर मात्रा में देना होता है.

बकरियों का वेस्ट चारे में जाता है
जबकि साथ ही सबसे ज्यादा नुकसान दाने, भूसे तथा चारे को रखने एवं उन्हें खिलाते समय होता है. आमतौर पर बकरियों को भोजन ऐसे उपकरणों में दिया जाता है, जिसमें बकरियों या तो पैर डाल देती हैं या उनमें उनका पेशाब एवं मेंगनी चली जाती है. खाने के समय काफी दाना-चारा बाहर भी गिर जाता है. अधिकतर प्रचलित उपकरण या तो दाने या भूसे के लिये हैं या फिर चारे के लिये. इस विसंगतियों को दूर करने के लिये केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान ने कुछ ऐसे उपकरण बनाये हैं, जिनमें दाना, भूसा एवं हरा चारा सभी कुछ एक साथ अथवा अलग-अलग खिलाया जा सकता है. इन उपकरणों में दाने चारे का नुकसान भी कम होता है तथा उसमें पेशाब अथवा मेंगनी नहीं रहती है.

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