नई दिल्ली. गर्मियों के सीजन में मुर्गियों का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि यह उनके उत्पादन और स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करता है. वज़नदार नस्लें जो दोहरे उद्देश्य तथा छोटे पैमाने पर गहन मुर्गी पालन के लिए पाली जाती हैं, उनमें गर्मी के तनाव को कम करना अधिक महत्वपूर्ण है. हांफना और अल्प खाद्य सेवन, गर्मी के तनाव के महत्वपूर्ण संकेतक है. गर्मी के तनाव से निपटने और पक्षियों की प्रोडक्टिविटी और हेल्थ को बनाए रखने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता होती है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ठीक ढंग से गर्मियों में मुर्गियों की देखरेख नहीं गई तो फिर नुकसान होता है. मुर्गियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और उत्पादन पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. आइए जानते हैं कि क्या-क्या उपाय किए जाएंकि गर्मियों में मुर्गियों से उत्पादन ठीक तरह से लिया जाए सके.
हांफने के बुरे प्रभावों का हल
गर्मियों में शरीर का तापमान बाहर निकालने के लिए श्वसन दर (पेंटिंग) बढ़ जाती है. ज्यादा देर तक हांफने से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है. जिससे पक्षी के खून के प्लाज्मा में अम्ल-क्षार संतुलन में परिवर्तन आ जाता है. इन बदलावों से सांस संबंधी खारापन व निर्जलीकरण से पक्षियों का पाचन क्रिया प्रभावित होती है. इस असंतुलन को ठीक करने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट को खाद्य में 3 से 7 किलोग्राम प्रति टन की दर से शामिल किया जा सकता है.
ठंडे पानी की व्यवस्था
गर्मियों में खाद्य का सेवन काफी कम होने से पक्षियों के प्रदर्शन में गिरावट आ जाती है. इसलिए, हर समय उनके खाने लायक खाना व ठंडे पानी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध कराते रहें. ठंडा पानी, गर्मियों में शरीर के तापमान को कम करने में सहायक होता है. खुले शेड के लिए, पंखे, फोगर्स, फव्वारे तथा पार्श्व में गीले पर्दे भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
खाद्य प्रबंधन कैसे करें
गर्म जलवायु में पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन सुनिश्चित करने के लिए खाद्य प्रबंधन सबसे आसान तरीका है. यह ज्यादा गर्मी के तनाव का सामना करने के लिए भी प्रभावी है. गर्मियों में दिन रात के ठंडे समय के दौरान पक्षियों को दाना खाना देना फायदेमंद है. बार—बार खाद्य देने से खाने की क्षमता बढ़ जाती है. यह सुनिश्चित करें कि दिन में गर्म समय के दौरान खाना न दें.
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