नई दिल्ली. कई बार ऐसा होता है कि तालाब में मछलियों ग्रोथ उतना नहीं होती है, जितनी होनी चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि तालाब में मछली की ग्रोथ अगर प्रभावित हो रही हो तो प्लैंकटन जांच से तालाब में मछलियों के लिए उपयुक्त भोजन का पता लगाते हैं. एक अच्छे तालाब में प्लैंकटन की मात्रा जांच करने के लिए पूरे तालाब के जगह-जगह से 50 लीटर पानी लेकर प्लैंकटन जाल में डालते हैं. प्लैंकटन की मात्रा 2 मिली से कम है तो ऊपर से भोजन डालने की जरूरत पड़ती है. अगर खाद के इस्तेमाल से मछलियों को तालाब में प्राकृतिक भोजन मिल रहा है और इनकी फिर भी ग्रोथ नहीं हो रही है तो प्राकृतिक फूड के अलावा कृत्रिम फूड भोजन भी दिया जाना चाहिए. इसे संचय के तीसरे दिन से देना जरूरी होता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि कृत्रिम भोजन के रूप में सरसों, राई या मूंगफली की खल्ली तथा चावल का गुण्डा (राईस ब्रान) या गेहूं का चोकर बराबर-बराबर मात्रा (1:1) में मिलाकर संचित मछलियों के कुल वजन का 2-3 फीसदी की दर से दिया जाता है. जाड़े के दिनों खासकर दिसम्बर एवं जनवरी में 1 फीसदी की दर से देना चाहिए. फरवरी से फिर से 2-3 फीसदी करें. एक हेक्टेयर फसल के लिए लगभग 20 टन भोजन की आवश्यकता होती है. मछलियों को हर दिन में एक बार कृत्रिम भोजन जरूर दें. भोजन देने का समय एवं स्थान प्रतिदिन एक ही रखें. खाना सुबह में देना ज्यादा बेहतर होता है. शाम 4 बजे के बाद कभी भी न दें.
ताकि बर्बाद न हो खाना
एक्सपर्ट के मुताबिक भोजन देने के लिए भोजन का मिश्रण तैयार कर तालाब में बेतरतीब ढंग से न छीटें. बड़ी मछलियों को भोजन देने से पहले आहार को पानी में भिगोकर अच्छी तरह गूँथ कर उनका गोला बनाकर तालाब में लटके में देना चाहिए. बड़े तालाबों में इसे छेद वाली पौलीथिन या जूट के बोरे में डालकर पानी में लटकाया जा सकता है. इससे मछलियां बड़ी पसंद से आकर भोजन करती हैं तथा भोजन बर्बाद नहीं हो पाता है. ग्रास कार्प को जलीय पौधे, जैसे हाईड्रिला, नाजा, सिरेटोफाइलम, नेपियर घास, बरसीम, सब्जियों के पत्ते इत्यादि दिये जाते हैं.
इस कंडीशन में न दें सप्लीमेंट
बताते चलें कि तालाब में भोजन ज्यादा हो जाने के कारण पानी में कभी-कभी शैवालपुंज, एलगल ब्लूमद्ध आदि पनप जाते हैं. इसके चलते तालाब का पानी हरा दिखाई देने लगता है. तालाब के पानी के हरा हो जाने की स्थिति में सप्लीमेंट खाना देना बंद कर देना चाहिए. प्रमोशन के दौरान पानी के पीएच 8.0 के आसपास तापमान 25-32 डिग्री बनाए रखना चाहिए. वहीं घुलने वाली ऑक्सीजन 5 से 8 पीपीएम, कठोरता 150 पीपीएम से कम और 40 पीपीएम से अधिक कैल्शियम के रूप में तथा क्षारीयता 50 से 100 पीपीएम के बीच बनाए रखना चाहिए.
Leave a comment