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Goat Farming: बकरी पालन करके साल में 6 करोड़ रुपये कमाने का दावा करता है ये युवा

african boer goats
बकरी फार्म के मालिक और अफ़्रीकी बोअर बकरे की तस्वीर.

नई दिल्ली. यदि कुछ करने की चाहत तो इस दुनिया में ऐसा कौन सा मुकाम है जो हासिल नहीं किया जा सकता है. अपना कॅरियर बनाने की सोच रहे बहुत से युवाओं के लिए ये खबर बहुत ही प्रेणादायक हो सकती है कि कैसे बकरी पालन करके भी हर साल करोड़ों रुपये कमाया जा सकता है. इसे सच कर दिखाया है महाराष्ट्र के एक शख्स ने. तेजस्वी नाम के शख्स ने अपने मुश्किल दौर में बहुत से मेहनत वाले काम किए. मसलन कपड़ों की दुकान पर काम किया, सब्जी बेची और 2005 से लेकर 2010 तक पिकपअ गाड़ी के जरिए एक शहर से दूसरे शहर तक सब्जियों को बतौर ड्राइवर ले गए. बाद में जब उन्होंने बकरी फॉर्म शुरू किया तो फिर लक्ष्मी उनपर मेहरबान हो गईं. अब वो फॉर्चूनर कार से चलते हैं.

बना लिया करोड़ों का बकरी फार्म
दसवीं में फेल हो जाने वाले तेजस्वी ने बताया कि साल 2006 में उन्होंने इस फॉर्म की शुरुआत दो अफ़्रीकी बोअर बकरियों से की. इस बकरियों की खासियत ये है कि 3 महीने में ही इसका वजन 28-29 किलो तक हो जाता है. ये बकरियां ढाई महीने में 20 केजी क्रॉस कर जाती हैं. फार्म में बकरियों को चारा लटकाकर खिलाया जाता है. इससे बकरियों का डाइजेस्ट सिस्टम अच्छा रहता है. जबकि जमीन पर गिरा चारा बकरी खाना पसंद नहीं करती है. अपने फार्म के बारे में बताया कि एक फार्म 58 फीट चौड़ा और 180 फीट लंबा है, जबकि दूसरा 50 फीट चौड़ा और 150 फीट लंबा है. जब दोनों फार्म बनाया था तो इसकी लागत 38 लाख के आसपास आई थी. अब इस फार्म को बनाया जाए तो इसकी कीमत करोड़ों में पहुंच जाएगी.

क्या-क्या खिलाते हैं
अफ़्रीकी बोअर बकरियों की पहचान की बात की जाए तो इनकी गर्दन पर ब्राउन कलर होता है. कद उनका छोटा होता है. बाकी कलर इसका व्हाइट होता. ये बकरियां अच्छा प्रोडक्शन देने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. प्रोडक्शन के लिए जब बकरी को बेचा जाता है तो बकरी का ढाई हजार रुपए पर केजी जबकि बकरा एक हजार रुपए पर केजी बिकता है. फीड देने के बारे में उन्होंने बताया कि बहुत जल्दी और कम क्वांटिटी में देते हैं. वैसे देखा जाए तो इस नस्ल की बकरियों को केला, अनानास, अन्य नट्स, अन्य फल, आम, काजू, खजूर और शिआ नट्स वगैरह भी दिया जाता है.

हर साल करोड़ों में है कमाई
फार्म के मालिक मुनाफे के बारे में कहते हैं कि मौजूदा वक्त में 6 करोड़ हर साल टर्नओवर है. इसमें एक से डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आता है बाकी बचत होती है. उन्होंने बताया कि वो फार्म में मौजूद बकरे-बकरियों का पूरा डाटा रखते हैं. कौन सी बकरी का ब्रीड है. कौन सी बकरी कब प्रेग्नेंट हुई. सारी चीजों की जानकारी रखते हैं. बाड़े को बड़ा इसलिए बनाया गया है कि बकरियां आराम से अलग-अलग रहें एक दूसरे से झगड़ा न करें. उन्हें संभालना आसान हो जाता है. एक बकरी को तैयार करने की बात की जाए तो दो ढाई महीने की बकरी 2.5 हजार रुपए खर्च आता है. शुरुआती महीने में बच्चा अपनी मां का दूध पीता है.

बकरी पालन के साथ ये भी करते हैं
फार्म का कार्य देखने के लिए 20 लेबर हैं. ये लेबर ही मुर्गी पालन, केंचुआ खाद, चारा मैनेजमेंट तमाम का काम संभालते हैं. उन्होंने बताया कि 2013 में केंचुआ खाद की शुरुआत की थी. बकरी और घर में पली 10-12 भैंस का जो भी मल निकलता है उससे खाद बना देते हैं. भविष्य में मछली पालन करने और फॉर्म को और बड़े लेवल पर ले जाना है का वो इरादा रखते हैं. उन्होंने कहा कि जो भी बकरी पालन करना चाहते हैं वो यहां ट्रेनिंग ले सकते हैं और कार्य शुरू कर सकते हैं. आखिरी में उन्होंने फार्म में मौजूद हंटर बकरे के बारे बतया कि उसकी कीमत तकरीब 1 लाख 20 हजार रुपये है.

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