Home मछली पालन National Fish Farmers Day: बढ़ रही है इनलैंड फिश फार्मिंग, जानें क्या है वजह, पढ़ें इसके फायदे
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National Fish Farmers Day: बढ़ रही है इनलैंड फिश फार्मिंग, जानें क्या है वजह, पढ़ें इसके फायदे

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.
तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. बात जब मछली पालन की आती है तो हर किसी के दिमाग में मरीन फिश फार्मिंग का ही नाम सामने आता है, लेकिन क्या आपको पता है कि धीरे-धीरे मरीन फिश फार्मिंग की जगह इनलैंड फिश फार्मिंग ले रही है और यह कहना गलत नहीं होगा कि मरीन फिश फार्मिंग कम हो गई है और इनलैंड फिश फार्मिंग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. आपको बता दें कि मरीन फिश फार्मिंग में समुद्रों और नदियों से मछली निकालना शामिल है जो प्राकृतिक रूप से समुद्र और नदियों में रहती हैं लेकिन इनलैंड फिश फार्मिंग में मछली पालक मछलियों को पालते हैं और तगड़ी कमाई करते हैं.

इनलैंड फिश फार्मिंग में तालाब की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा भी कई और तरीके हैं, जिससे मछली का पालन किया जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर तालाब की बात की जाए तो तालाब के अंदर किसान मछली के छोटे बीज को डालते हैं और फिर उन्हें फीड दिया जाता है. ताकि मछलियां अच्छे से ग्रोथ करें और फिश फार्मिंग के काम में मछली पालकों को फायदा हो सके. इस तरह के मछली पालन के काम को करने वाले लोगों को मछली पालक कहा जाता है. जबकि परंपरागत तरीका जो है यानी मरीन फिशिंग उससे कमाई करने वालों को मछुआरा कहा जाता है.

इनलैंड फिश फार्मिंग क्या—क्या आता है
बता दें कि इनलैंड फिश फार्मिंग में बायोफ्लॉक और आरएस जैसी नई तकनीक भी शामिल है. इसके अलावा मोनो कल्चर, पॉली कल्चर भी इनलैंड मछली पालन के अंतर्गत आता है. मोनो कल्चर में एक प्रजाति की ही मछली का पालन किया जाता है, पाली कल्चर में एक से ज्यादा मछलियों को पाला जाता है. इनलैंड फिश फार्मिंग जिसे अंतर्देशी मछली पालन भी कहा जाता है, आमतौर पर मीठे पानी के सोर्स में ही इसका काम किया जा रहा है. हालांकि सरकार ऐसी कई योजनाएं चल रही है, जिससे खारे पानी में भी पालने वाली मछलियों को पाला जाए. झींगा जो मरीन फिश फार्मिंग के तहत आता है उसको भी पालने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है.

मछली में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पूरे मछली के बिजनेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
तालाब में पाली गई मछली की तस्वीर.

इनलैंड फिश फार्मिंग के फायदे यहां पढ़ें
इनलैंड फिश फार्मिंग के फायदे की बात की जाए तो इससे इंसानों को प्रोटीन वाला बेहतरीन खाद्य पदार्थ मिलता है. इससे ज्यादा कमाई का मौका भी मिलता है. एक एकड़ के तालाब में अगर मछली पालन किया जाए तो 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से की जा सकती है. इससे जल प्रबंधन में भी सुधार की गुंजाइश रहती है. किसानों के पास ये ऑप्शन होता है कि वो अपनी मनपसंद मछलियों का चयन कर सकते हैं और उन्हें तालाब के अंदर पालकर आसानी से उनकी देखभाल कर सकते हैं.

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