नई दिल्ली. मछली पालन के साथ मुर्गियों को भी पाला जा सकता है और इससे अच्छी कमाई भी की जा सकती है. हालांकि इसके लिए कुछ व्यवस्थाएं करने की भी जरूरत होगी. जैसे घर का इंतजाम तालाब के किनारे भूमि पर या तालाब के अन्दर झोपड़ी बनाकर किया जा सकता है. मुर्गी के घर को आरामदायक गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गरम रखने की व्यवस्था होती है. मछली के साथ मुर्गी पालन के तहत मुर्गियों को रखने की आधुनिक सघन प्रणाली अपनाई जाती है. इसमें पक्षियों को मुर्गी के लिए बनाये गए घर के अन्दर ही लगातार रखा जाता है. इसमें बैटरी सिस्टम (पिंजरों का कतार) की तुलना में डीप लीटर सिस्टम को प्राथमिकता दी जाती है.
एक्सपर्ट के मुताबिक डीप लीटर सिस्टम में 10 सेटीमीटर ऊंची बारीक लेकिन सूखी धान की भूसी, कुट्टी किया गया धान का पैरा, लकड़ी का बुरादा, गेहूं की भूसी आदि किसी चीज की बिछाई जाती है. यही डीप लीटर है. मुर्गियों का मलमूत्र नीचे बिछाए गए तह पर गिरता है. यदि नीचे का लीटर कुछ गीला सा हो जाता है, तो उसे सूखाने के लिए चूना डाला जाता है और उसमें हवा लगती रहना चाहिए. जरूरत पड़ने पर भूसी आदि भी डाली जाती है. लगभग दो माह में यह डीप लीटर बन जाता है, और 10-12 माह में पूरी तरह विकसित लीटर बन जाती है. जो एक तरह की खाद है. बता दें कि मुर्गियों की विष्ठा में 1 फीसद नाइट्रोजन होता है जबकि विकसित लीटर में यह 3 फीसद होता है.
तालाब के लिए मिल जाती है खाद
मुर्गी घर से निकाले गये पोल्ट्री लीटर का स्टोरेज कर लिया जाता है. मछली पालन के लिए तालाब में इसे हर दिन सुबह 50 किलो प्रति हेक्टर की दर से डाला जाता है. यदि काई अधिक है तो पोल्ट्री लीटर कुछ दिन नहीं डालना चाहिए. 25-30 मुर्गियों से एक वर्ष में एक मीट्रिक टन पोल्ट्री लीटर बनता है. इसलिए एक हेक्टर जलक्षेत्र के लिए 500-600 मुर्गियां रखना पर्याप्त होता है. इतने पक्षी 20 मीट्रिक टन (खाद) लीटर देंगे. पूरी तरह से तैयार लीटर में 3 फीसदी नाइट्रोजन, 2 फीसदी फास्फेट और 2 फीसद पोटाश रहता है.
किन मुर्गियों का चयन करें
अच्छे पक्षियो में रोड आईलैंड या सफेद लेगार्न मुर्गियां प्रजाति उपयुक्त हैं. मुर्गी के आठ सप्ताह के चूजों को रोग प्रतिरोधक टीके लगाकर रखा जाता है. प्रति हेक्टर जलक्षेत्र के लिए 500-600 मुर्गी रखना उपयुक्त है. 1-4 मुर्गियों के लिए आहार मुर्गियों को उम्र केे मुताबिक संतुलित मुर्गी आहार दिया जाता है. आहार फीड हापर में रखा जाता है, ताकि आहार बेकार न जाए. 9 से 20 हफ्ते तक बॉडी को ग्रो करने वाला फीड 50-70 ग्राम प्रति पक्षि प्रति दिन की दर से और इसके बाद लेयर को 80-120 ग्राम प्रतिदिन की दर से आहार दिया जाता है. मुर्गियां 22 सप्ताह बाद अंडे देना शुरू कर देती हैं. मुर्गियों को 18 माह तक अंडे लेने के लिए रखना चाहिए.
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