नई दिल्ली. कई बार आपने कुत्तों को सड़क या गली-मोहल्ले में घिसटते हुए देखा होगा. ऐसे कुत्ते अपने कूल्हे को जमीन पर घिसटते हुए चलते हैं. ऐसा तब होता है जब कुत्ते का कूल्हा यानि हिप टूट जाता है. हिप टूटने या फ्रैक्चर होने पर इंसानों को तो इलाज मिल जाता है, लेकिन कुत्तों में इसे लेकर बहुत परेशानी होती थी. लेकिन हिप टूटने या फ्रैक्चर होने पर अब कुत्तों को जमीन पर नहीं घिसटना पड़ेगा. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली ने एक बहुत ही खास काम को अंजाम दिया है. देश में पहली बार स्वदेशी तकनीक से कुत्ते में आर्टिफिशियल हिप ट्रांसप्लांट (कूल्हा प्रत्यारोपण) किया गया है. हिप ट्रांसप्लांट के बाद अब कुत्ता पहले की तरह आराम से चल-फिर रहा है.
ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि कुछ दिन बाद कुत्ता पहले की तरह अपनी जिंदगी को आराम से जीने लगेगा. खास बात ये है कि कुत्ते के लिए आर्टिफिशियल हिप पहले विदेश से मंगाया जाता था. इस पर लाखों रुपये का खर्च आता था. लेकिन अब हिप ही नहीं उससे जुड़े दूसरे उपकरण भी आईवीआरआई ने देश में ही तैयार किए हैं. जिसके चलते अब आम श्वान मालिक भी अपने कुत्तों का हिप ट्रांसप्लांट करा सकेंगे. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के साइंटिस्ट डॉ. रोहित कुमार और उनकी टीम ने देश में पहली बार देसी तकनीक से तैयार आर्टिफिशियल हिप को ट्रांसप्लांट (कूल्हा प्रत्यारोपण) करने में कामयाबी हासिल की है. देश में ये अपनी तरह का कामयाब सर्जरी कर नया कीर्तिमान है. इससे पहले ये सारा सामान विदेश से आता था.

3 साल में मिली आर्टिफिशियल हिप में कामयाबी
आईवीआरआई के प्रवक्ता ने बताया कि आर्टिफिशियल हिप तैयार करने और ट्रांसप्लांट करने की खासियत यह है कि यह पूरी तरह देश में तैयार किया गया है. अभी तक कुत्तों के लिए आर्टिफिशियल हिप भारत में उपलब्ध नहीं था. यदि किसी कुत्ते को आर्टिफिशियल हिप की जरूरत होती थी, तो उसे केवल विदेश से ही मंगवाया जाता था, जिसका खर्च कम से कम 5 लाख तक आता था. लेकिन आईवीआरआई के साइंटिस्ट ने आर्टिफिशियल हिप तीन साल के छोटे से वक्त में बनाकर तैयार कर लिए. डॉ. रोहित ने बताया कि आर्टिफिशियल हिप ट्रांसप्लांट की पहली सर्जरी देहरादून के, दूसरी बरेली के तथा तीसरी संभल पुलिस के कुत्तों में सफल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया गया है. डॉ. रोहित का कहना है कि तैयार किया गया कूल्हा काफी सस्ता है और देश के कुत्ता मालिक को इसका फायदा दिया जाएगा.

ऐसे बना आर्टिफिशियल हिप
डॉ. रोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि करीब 3 साल के अध्ययन के बाद खासतौर पर भारतीय कुत्तों के अनुरूप सीमेंटेड पद्धति का कूल्हा ही नहीं, बल्कि उसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को भी तैयार किया गया. हमारी ने इस काम को चुनौती के रूप में लेते हुए शुरुआत में शहर के प्रसिद्ध ह्यूमन ऑर्थो सर्जन डॉ. आलोक सिंह की मदद से कई बारीकियों को सीखा. डॉ. आलोक सिंह और बरेली मेडिकेयर फर्म के योगेश सक्सेना और देवेश सक्सेना की तकनीकी सहायता से गुजरात की लाइफ ऑर्थो केयर कंपनी से कुत्तों के लिए आर्टिफिशियल कूल्हा और उसमें उपयोग होने वाले उपकरणों को तैयार कराया गया. तकनीकी डिजाइन और साइज तय करने का काम डॉ. टी साई कुमार एमवीएससी शोध कार्य और डॉ. कमलेश कुमार टी एस ने पीएचडी शोध कार्य किया. आईवीआरआई के डॉयरेक्टर डॉ त्रिवेणी दत्त ने पूरी टीम के साथ सभी बाहरी लोगों को बधाई दी है.
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