नई दिल्ली. मुर्गी की सहायता से अंडों से चूजा निकालने का काम किया जाता है. चूजा पालन भी प्राकृतिक विधि द्वारा ही मुर्गी की सहायता से किया जाता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि मुर्गी अपने शरीर का तापमान चूजों को देकर उन्हें पालती है. अपने आकार के अनुसार एक मुर्गी 10-15 चूजे पाल सकती है. इस काम के लिये देशी मुर्गी ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है और वो बेहतर रिजल्ट भी देती है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब अंडो से चूजे निकालने हों तो इस काम के लिये अलग पालन दड़बों का प्रयोग करना चाहिये.
दड़बे की डिजाइन की बात की जाए तो दड़बा 2 फीट 2 फीट का, एक तरफ थोड़ा ढलान वाला होना चाहिये. जिसे बांस की टोकरी, गत्ते का बक्सा आदि से बनाया जा सकता है. यहां मुर्गी चूजों के पास बैठ कर अपने शरीर की गर्मी चूजों को दे सकती है. इस विधि से चूजा पालन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी बेहद ही जरूरी होता है.
क्या-क्या करना है, पढ़ें यहां
एक्सपर्ट के मुताबिक मुर्गी और चूजों को अन्य मुर्गियों से थोड़ा अलग सूखा, हवादार व सुरक्षित दड़बा या फिर जगह देना चाहिए. ताकि वह अपनी और चूजों की रक्षा कर सके एवं उन्हें भली-भांति पाल सकें.
मुर्गी और चूजों को संतुलित आहार देना बेहद ही जरूरी होता है. पोल्ट्री फार्मर्स अनाज का मिश्रण दिन में कम से कम दो बार जरूर दें.
साफ पानी सदा उपलब्ध रहना चाहिये तथा पानी का बर्तन गहरा नहीं होना चाहिये अन्यथा चूजे उसमें डूब कर मर सकते हैं.
दिन में मुर्गी व चूजों को बाहर खुला छोड़ दे लेकिन रात में उन्हें दड़बों में बंद करें.
मुर्गियों को जंगली जानवर, कुत्ते, बिल्ली, चूहों व साप से तथा गर्मी, सर्दी व बरसात से बचाना बेहद ही जरूरी होता है.
चूजों की हेल्थ के बारे में हमेशा सजग रहना चाहिये और समय-समय पर लगने वाले टीके लगवाना चाहिये.
चूजों व बड़ी मुर्गियों में कई बार एक दूसरे को चोंच मार कर घायल कर देने की बुरी आदत पड़ जाती है, जिसे केनिबोलिज्म कहते हैं. इसपर ध्यान दें.
कभी भी कम जगह में अधिक चूजे को नहीं रखना चाहिए.
ज्यादा तापमान, खाने-पीने के बर्तन में दाने पानी का न होना, असंतुलित आहार, अधिक रोशनी ये परेशानी का सबब है.
इस बुरी आदत से बचाने के लिये 4 से 6 सप्ताह की आयु पर चूजों का खास ख्याल रखें
Leave a comment