नई दिल्ली. बीमारियां पशुओं के लिए कतई ठीक नहीं हैं. चाहे वो लंपी स्किन डिसीज हो या फिर कोई और बीमारी. बीमारियां सिर्फ नुकसान लेकर आती हैं. लंपी स्किन डिसीज होने पर आमतौर पर दूध उत्पादन में गिरावट देखी जाती है. पशु कमजोर हो जाते हैं और सुस्त भी पड़ जाते हैं. कई बार इसके चलते उनकी मौत भी हो जाती है. गौरतलब है कि ये एक वायरल बीमारी है और पशुओं को अक्सर ये मच्छरों और मक्खियों जैसे कीड़ों के काटने की वजह से होती है. इसलिए मच्छरों और मक्खियों जैसे कीड़ों को फार्म से खत्म करने के उपाय किए जाते हैं.
पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मध्यप्रदेश (Animal Husbandry and Dairy Department, Madhya Pradesh) की ओर से लंपी स्किन डिसीज को लेकर पशुपालकों को जागरुक करने के लिए फेसबुक पोस्ट की गई है. जिसमें लक्षण और बचाव का तरीका बताया गया है. यहां लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) आपको इसी की जानकारी दे रहा है.
क्या हैं लंपी स्किन डिसीज के लक्षण
यह रोग मुख्य रूप से गौवंशीय पशुओं में होता है.
पशुओं में तेज बुखार, कंपकंपी, चारा ना चरना एवं बैचेनी नजर आती है.
संक्रमित होने के 3 से 4 दिन बाद शरीर पर छोटी-छोटी गांठ पड़ जाना.
संक्रमण की वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन की कमी होती है.
बचाव के उपाय
पशुओं के शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग एकांत में बांधे, जहां दूसरे पशुओं का आवागमन ना हो.
बीमार पशुओं के चारा-पानी की व्यवस्था अलग करें.
उपयोग में लाए जाने वाले बर्तनों को साबुन से अच्छी तरह साफ करें.
पशुओं के जूठे चारे आदि को जमीन में दबाकर कर नष्ट करें.
किलनी, जूँ, मच्छर और मक्खी आदि बाह्य परजीवियों के काटने से भी यह रोग फैलता है. इसलिए पशुओं एवं पशुशाला को इन बाह्य परजीवियों से मुक्त रखें.
लम्पी स्किन डिसीज रोग का टीकाकरण कराएं.
किसी भी प्रकार के बीमारी के लक्षण पशुओं में दिखाई देने पर तत्काल निकटतम पशु चिकित्सा संस्था अथवा टोल फ्री नंबर 1962 पर सूचित करें.
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