नई दिल्ली. मक्का पशुओं के साथ-साथ मुर्गियों के लिए भी एक बेहतरीन चारा है. मक्का का चारा खाने से पशुओं को ऊर्जा मिलती है और विकास होता है. जबकि दूध उत्पादन बढ़ाने में भी मक्का का रोल कोई कम अहम नहीं है. इसके अलावा मक्का पोल्ट्री फार्मिंग में भी जरूरी है. एक आंकड़े के मुताबिक आधे से ज्यादा पोल्ट्री फीड मक्का से ही तैयार किया जाता है. इसे खाकर मुर्गियां ज्यादा अंडे देती हैं औंर ब्रॉयलर मुर्गोें का वजन भी तेजी के साथ बढ़ता है. इसलिए मक्का की अहमियत इन दोनों ही काम में बहुत ज्यादा है.
पशुपालन विभाग राजस्थान के मुताबिक (According to the Animal Husbandry Department of Rajasthan) सरकार मक्का की खेती का रकबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है ताकि इसकी पैदावार ज्यादा हो सके.
मक्का में वॉटर मैनेजमेंट कैसे करें
मक्का एक ऐसी फसल है, जो न सूखा सहन कर सकती है और न ही ज्यादा पानी. इसलिए खेत में नालियां बुआई के समय ही तैयार कर लेनी चाहिये.
इस प्रकार समय पर उचित जल प्रबंधन के लिए खेत में पानी पहुंचाया जा सकता है या खेत से जल को बाहर निकाला जा सकता है.
सामान्य रूप से नालियों दो तिहाई ऊंचाई तक ही सिंचाई के लिए पानी भरना फायदेमंद रहता है.
मक्का में जल प्रबंधन मुख्य रूप से मौसम पर निर्भर करता है. खरीफ ऋतु में मानसूनी वर्षा सामान्य रहने पर सिंचाई की जरूरत नहीं होती है.
अगर जरूरत पड़ती है, तो पहली सिंचाई बहुत ही ध्यान से करनी चाहिए, क्योंकि अधिक सिंचाई से पौधों की बढ़वार रुक जाती है.
सिंचाई के मद्देनजर से नई पौध, घुटनों तक की ऊंचाई, फूल आने तथा भुट्टे में दाने भराव की अवस्थाएं सबसे संवेदनशील होती हैं.
इन अवस्थाओं में अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो सिंचाई अवश्य करनी चाहिए, नहीं तो पौधों की बढ़वार कम होगी और उपज में कमी हो जाएगी.
आमतौर मक्का की फसल में सिंचाई उपलब्ध नमी की 50 प्रतिशत मात्रा कम होने पर की जाती है.
ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों में, मक्का की फसल को मेड़ों पर उगाकर जलभराव की समस्या को कम कर सकते हैं. सूखे के समय नालियों में सिंचाई कर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
मक्का में सिंचाई की नवीनतम तकनीक जैसे बूंद-बूंद सिंचाई विधि को अपनाकर जल उपयोग की दक्षता को बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही अधिक उपज भी प्राप्त कर सकते हैं.
Leave a comment