नई दिल्ली. दुनिया के कई देशों में मीट को पैक करके बेचा जाता है. पैक्ड होकर बिकने वाला मीट हफ्तों और महीनों तक बिल्कुल ही ताजा बना रहता है. इसको इस तरह से पैक किया जाता है कि ये खराब न हो. एक्सपर्ट का कहना है कि पैकेजिंग और स्टोरेज के वक्त इसपर खास ध्यान दिया जाता है. जिससे मीट खराब नहीं होता है. अगर ऐसा न किया जाए तो मीट न सिर्फ खराब हो जाएगा, बल्कि ये खाने वालों को नुकसान भी पहुंचा सकता है. बताते चलें कि भारत में कई बड़े शहरों में सुपर मॉल में पैक किया हुआ बोनलेस मीट उपलब्ध है, जिसकी लोगों में डिमांड भी है.
एक्सपर्ट का कहना है कि मांस को पैक किया जाना चाहिए ताकि संदूषण, रंग का बिगड़ना, नमी की हानि, गंध का अवशोषण, ऑक्सीडेटिव बासीपन आदि से बचा जा सके. यह परिवहन में आसानी, आवश्यक जानकारी का प्रदर्शन और उपभोक्ताओं को विश्वास में लाने में भी मदद करता है. पैकेजिंग मांस के शेल्फ जीवन को प्रभावित करने वाला एक कारक है.
इस तरह किया जाता है स्टोर
बात अगर स्टोरेज की जाए तो स्टोरेज, परिवहन और प्रदर्शन के दौरान उच्च स्वच्छता और पैकिंग के साथ कम तापमान को संयोजित करने से शेल्फ जीवन को बढ़ाया जा सकता है. यदि मांस को लंबे समय तक स्टोर करना है तो त्वरित फ्रीजिंग हमेशा मांस की प्राकृतिक गुणवत्ता को बनाए रखने और प्रक्रिया में देरी के कारण बिगड़ने से बचने के लिए एक जरूरी प्रक्रिया होती है. व्यावसायिक रूप से, मांस को फ्रीज करने के लिए कई विधियां उपयोग की जाती हैं जैसे कि प्लेट फ्रीजिंग, ब्लास्ट फ्रीजिंग और क्रायोजेनिक फ्रीजिंग. प्लेट फ्रीजिंग आमतौर पर पतले मांस के टुकड़ों और मांस उत्पादों जैसे स्टेक, चॉप, फ़िलेट आदि तक सीमित होती है. ब्लास्ट फ्रीजर सभी प्रकार के मांस के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं और पूरे साइड, प्राथमिक कट और असामान्य आकार के उत्पादों को फ्रीज करने के लिए उपयुक्त होते हैं.
इस हिस्से के मीट को केमिकल से गुजारा जाता है
गौरतलब है कि पैक करने से पहले मीट को कई केमिकल से भी गुजारा जाता है. जिसमें मांसपेशी का मांस में परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई बायोकैमिकल और भौतिक परिवर्तन शामिल होते हैं. पायरुवेट जो ग्लाइकोलिसिस के अंतिम उत्पाद के रूप में उत्पन्न होता है, वो लैक्टिक एसिड में परिवर्तित होता है जो मांसपेशी में जमा होता है. जानवर की जान निकलने के बाद मेटाबोलिज्म की गति और सीमा पेशी के गुणों और बाद में खाद्य के लिए इसके उपयोग पर गहरा प्रभाव डालती है. कटिंग के बाद की पेशी में जो प्रमुख भौतिक परिवर्तन होते हैं, उनमें rigor mortis का विकास शामिल है.
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