नई दिल्ली. राजस्थान के जैसलमेर गांव में इन दिनों पशुओं में दो बीमारियों ने कहर बरपा रखा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक महीने में जैसलमेर में 20 हजार से ज्यादा भेड़ व बकरियों की मौत होने की खबर है. पशुपालक अपने पशुओं को बचा नहीं पा रहे हैं. जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वही पशुपालन विभाग वैक्सीनेशन करने की सलाह दे रहा है. कहा यह भी जा रहा है कि पशुपालकों को अपने पशुधन को बीती दीपावली के वक्त वैक्सीनेशन करना था लेकिन उन लोगों ने वैक्सीनेशन नहीं करवाया, जिसका खामियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक पशुओं की मौत का कारण पीपीआर (ओरी) व फिड़किया बीमारी है.
पशुपालन विभाग जैसलमेर के उपनिदेशक डॉ. उमेश वरंटीवार का कहना है कि पीपीआर (ओरी) वायरल एक बैक्टीरियल बीमारी है. पीपीआर से जहां बड़े-बड़े पशुओं की मौत हो रही है तो वहीं फिड़किया बीमारी मेमने, छोटे पशुओं की जान ले रही है. जो पशु अभी तक इसकी चपेट में नहीं हैं, उसके लिए वैक्सीन और जो चपेट में आ गए हैं उनके लिए उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि गायों में फैली लंपी बीमारी के बाद वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में पशुपालकों को मेडिकल से ही वैक्सीन लेकर लगवाने सलाह विभाग की ओर से दी जा रही है.
पशुधन की जान बचाने को चक्कर काट रहे पशुपालक
बताया जा रहा है कि जैसलमेर पशु बहुल्य क्षेत्र है और जिले में 7 लाख भेड़ें और 8 लाख बकरियां हैं. पशुपालकों की आजीविका का साधन भी यही है. ऐसे में पीपीआर और फिड़किया बीमारी से पशुधन की हो रही मौत ने पशुपालकों को गहरी सदमे में पहुंचा दिया है. अब पशुपालक अपने पशुधन को बचाने के लिए इधर-उधर चक्कर काटते फिर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि जैसलमेर में 20 हजार से ज्यादा भेड़ और बकरियों की अब तक मौत हो चुकी है. इसके साथ ही अभी भी बहुत से पशु इसकी चपेट में हैं. जिनका इलाज मुकम्मल तौर पर नहीं हो पा रहा है. पशुपालन विभाग में कुछ समय से पहले गायों में आई लंपी बीमारी के बाद वैक्सीन नहीं दी जा रही.
क्या होता है जब पशु को जकड़ती है ये बीमारी
पीपीआर वैक्सीन के आवंटन नहीं हुए करीब 2 साल का समय भी बीत चुका है. इस वजह से पशुपालकों को बाहर से वैक्सीन लेनी पड़ रही है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जिन भेड़ और बकरियां में ये बीमारी फैल रही है. उन्हें तुरंत आइसोलेट कर देना चाहिए. इस बीमारी में पहले भेड़ को दस्त होते हैं. फिर एकदम से दस्त बंद हो जाता है. दो-तीन दिन बाद अचानक भेड़ में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वह ठीक से चल भी नहीं पाती हैं और चलने की कोशिश करती हैं तो लड़खड़ा कर गिर जाती हैं. इसके बाद एक फिर दस्त आते हैं लेकिन इस बार दस्त के साथ खून भी आ जाता है और भेड़ की मौत हो जाती है.
क्यों होती है ये बीमारी, पढ़ें एक्सपर्ट क्या कहते हैं
इस संबंध में सेंट्रल शीप एंड वूल रिसर्च इंस्टीट्यूट अविकानगर के डायरेक्टर अरुण तोमर कहते हैं कि राजस्थान में यह वह मौसम होता है, जब खेतों में फसल कट चुकी होती है और खेत खाली पड़े होते हैं. ऐसे में भेड़ के झुंड चरने के लिए चले जाते हैं. ये पशु खेत में जमीन पर पड़े अनाज को भी खाते हैं. एक तो इन्हें ज्यादा अनाज खाने को मिलता है तो वहीं दूसरी ओर मौसम भी ऐसा होता है कि ज्यादा खा जाते हैं. ज्यादा खाने के चलते उनकी आंतों में एंडोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीरिया पनपने लगता है. इस वजह से भेड़ को दस्त लगते हैं और इसी वजह से उनकी मौत हो जाती है.
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