नई दिल्ली. उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि रोड किनारे मुर्गे काटकर बेचने की गतिविधियों पर रोक लगाई जाए. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि सरकार पहले इस काम को करने वाले लोगों के लिए स्लाटर हाउस की व्यवस्था करे ताकि लोगों की रोजी-रोटी पर संकट न आए. गौरतलब है कि उत्तराखंड में हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद आधा बातों पर अमल किया जाने लगा है. यहां रोड किनारे मुर्गों को काटने पर पाबंदी लगाना शुरू कर दी गई है. यहां तक कि मुर्गों से भरे ट्रक को उत्तराखंड में रोका जाने लगा. जबकि पीएफआई का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के अगले हिस्से को सरकार ने नहीं माना है कि पहले स्लाटर हाउस की व्यवस्था कराई जाए.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने रोड किनारे मुर्गें काटने पर पाबंदी लगाने का फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया था. वहीं देश में पोल्र्टी सेक्टर को आगे ले जाने वाली संस्था पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल ढांडा का कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश का सिर्फ एक हिस्सा मान रही है और पोल्ट्री कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. मुर्गों से भरे ट्रक रोके जा रहे हैं. जबकि पहले स्लाटर हाउस बनाने की बात हाईकोर्ट ने कही थी. यदि इस काम को पूरा करने के बाद कार्रवाई की जाए तो ठीक था लेकिन इसके बिना कार्रवाई करने से पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े हुए लोगों को नुकसान हो रहा है.
ताकि मीट हो सके उपलब्ध
बता दें कि पीएफआई ने इसी वजह से सरकार के सामने कुछ मांगे भी रखी थी और रोके जा रहे ट्रक में मरने वाले मुर्गों का मुआवजा भी मांगा है.
पीएफआई की ओर से कहा गया है कि सभी राज्य सरकारें सभी मीट की दुकानों के लेआउट और डिजाइन के बारे में दिशा-निर्देश जारी करें. ताकि उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा सके.
राज्य सरकार मीट की दुकानों और पोल्ट्री के ट्रांसपोर्टरों के लिए कानून के अनुसार दिशा-निर्देश जारी कर सकती हैं. ताकि उपभोक्ताओं को भी उनकी जरूरतों के मुताबिक मीट उपलब्ध कराया जा सके.
आगे कहा कि छोटे पोल्ट्री किसानों की ओर से, पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया संबंधित केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अधिकारियों से अनुरोध करता है कि वे इन मामलों में त्वरित कार्रवाई करें और ट्रकों की आवाजाही और दुकानों के संचालन की अनुमति दें ताकि लाखों किसानों की आजीविका बच सके.
पीएफआई के प्रेसिडेंट रनपाल ढांडा ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि मुर्गा व्यपारियों के लिए स्लाटर हाउस बनाएं जाएं. इसलिए सभी राज्य सरकारें इस आदेश का पालन करें और स्लाटर हाउस बनवाएं.
पीएफआई ने मांग की है कि पोल्ट्री किसानों की आजीविका की रक्षा की जानी चाहिए. अगर राज्यों में स्लाटर हाउस तैयार नहीं होता है तो पोल्ट्री किसानों को उनकी आजीविका के लिए अपनी नियमित गतिविधियों को करने से नहीं रोका जाना चाहिए. नहीं तो उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ जाएगा.
बता दें कि कुल पांच मांग की गई है. जिसमें पहली मांग है कि स्लाटर हाउस बनवाएं जाएं. दूसरी मांग, पोल्ट्री किसानों की आजीविका की रक्षा की जाए. तीसरी, अवैध हिरासत पर रोक, चौथी नुकसान होने पर मुआवजा दिया जाए और पांचवीं मांग है कि सरकारें स्पष्ट गाइडलाइन जारी करें.
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