नई दिल्ली. मॉनसून का आ गया है. देश के तकरीबन सभी हिस्सो में बारिश का भी आगाज हो गया है. इसी के साथ ही पशुओं को बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है. ऐसे में अगर पशुओं को बीमारी से नहीं बचाया गया तो सबसे पहले इसका असर उत्पादन फिर और पशुओं की सेहत पर पड़ेगा. पशुपालक हमेशा यही चाहते हैं कि पशुओं की बीमारी के बारे में उन्हें जानकारी रहे. ताकि समय से पहले एहतियात कर ली जाए. इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि ट्रिपैनोसोमोसिस नाम की बीमारी पशुओं को जुलाई और अगस्त के महीने में बीमार कर सकती है.
एक्सपर्ट का का कहना है कि ये बीमारी पशुओं में होती है और बहुत गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में बुखार, सुस्ती और कमजोरी दिखती है. इस बीमारी में तेजी के साथ वजन कम होता है और एनीमिया होता है. इसके चलते पशु उत्पादन कम कर देते हैं. वक्त रहते इसका इलाज न किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते ही इसका इलाज किया जाए.
उत्तर प्रदेश के 65 जिलों में खतरा
पशुपालन को लेकर काम करने वाली निविदा संस्था के मुताबिक जुलाई के महीने में इस बीमारी का खतरा देश के 64 शहरों में है. सबसे ज्यादा झारखंड और उत्तर प्रदेश राज्य प्रभावित होंगे. झारखंड के 25 शहरों में पशु इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के 31 जिलों में पशुओं को यह बीमारी बीमार कर सकती है. वहीं अगस्त के महीने की बात की जाए तो झारखंड में 25 जिले में और उत्तर प्रदेश में 34 जिले में यह बीमारी पशुओं को प्रभावित करेगी.
बीमारी के लक्षण के बारे में पढ़ें
ट्रिपैनोसोमोसिस के बारे में कहा जात है कि ये एक परजीवी संक्रमण है जो अफ्रीका में त्सेत्से मक्खियों के काटने की वजह से पशुओं में फैलती है. इसके शुरुआती लक्षणों की बात की जाए तो इसके काटने की जगह के आसपास सूजन दिखाई देती है. अगर यहां तक मामला नहीं रुका तो फिर बुखार, और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल है. वहीं जानवर इसके चलते कमजोर हो जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि शुरुआती लक्षण दिखने पर वेटनरियन की सलाह लेनी चाहिए. नजदीकी अस्पताल में इसका इलाज ढूंढना चाहिए.
किस तरह किया जा सकता है इलाज
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इस बीमारी का जल्दी से पता चल जाए तो इलाज संभव है. ट्रिपैनोसोमोसिस का उपचार चिकित्सीय और रोगनिरोधी उद्देश्यों के लिए ट्रिपैनोसाइडल दवाओं से किया जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक मवेशियों के लिए चिकित्सीय दवाओं में डिमिनज़ीन एसिटुरेट, होमिडियम क्लोराइड और होमिडियम ब्रोमाइड दिया जा सकता है. मवेशियों के लिए रोगनिरोधी दवाओं में होमिडियम क्लोराइड, होमिडियम ब्रोमाइड और आइसोमेटामिडियम शामिल हैं. अगर वक्त रहते इलाज किया जाए तो बीमारी से निजात मिल सकती है.
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