नई दिल्ली. मार्च का महीना खत्म होने में अब सिर्फ 8 दिन बचे हैं. यानी अब सर्दियों के बाद गर्मियों का मौसम शुरू हो जाएगा. मौसम पूरे देश में करवट ले रहा है. इस वजह से इंसानों के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर भी इसका बड़ा असर देखा जा रहा है. जिस तरह से इस दौरान आम इंसान अपना ख्याल रखते हैं. उसी तरह से पशुओं का भी ख्याल रखना जरूरी होता है. भारत मौसम विज्ञान की तरफ से एडवाइजरी भी जारी की गई है. इस मौसम में बदलाव से सबसे ज्यादा असर दूध देने वाले पशुओं पर पड़ता है. क्योंकि इस दौरान दूध कम हो जाता है और उनके खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.
हरियाणा के पशुपालकों की सलाह में कहा गया कि दूध देने वाले पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए उन्हें तेल का मिश्रण खिलाना चाहिए. इसके साथ ही गायों को गुड़ खिलाएं और उनके चारे में पर्याप्त मात्रा में नमक मिश्रण उपलब्ध कराएं. दूध देने वाले पशुओं को सड़ा हुआ या गंदा आलू ना दिया जाए. इससे उनकी हेल्थ पर खराब असर पड़ेगा. स्वस्थ रखने के लिए हर दिन हरे चारे के साथ 50 ग्राम आयोडीन नमक और 50 से 100 ग्राम खनिज पदार्थ देना जरूरी होता है.
हरे चारे को गेहूं भूसे के साथ दें
पशुओं के में पेट फूलने से रोकने के लिए हरे चारे को गेहूं के भूसे, सूखे चारे के साथ मिला देना चाहिए. उन्हें चावल का भूसा कभी न खिलाएं. अगर पशुओं के पेट फूलने की समस्या है तो 50 से 60 मिली तारपीन का तेल या 250 से 30 मिली सरसों का तेल दे सकते हैं. साथ ही सुनिश्चित करें कि पशुओं को टीका लगावा दें. यह भी सुनिश्चित कर लें कि उन्हें कृमि नाशक दवा दी गई है या नहीं.
लंपी रोग से कैसे बचाएं
पश्चिम बंगाल के पशुपालकों के लिए सलाह में कहा गया है कि पशुओं की लंपी स्किन डिजीज से बचने के लिए समुचित उपाय करें. वायरस के कारण होने वाले रोगों में पशुओं के शरीर पर गाठें बन जाती हैं. इस बीमारी से ग्रसित पशु के शरीर पर गोल-गोल चक्कते उभर जाते हैं. उनके अंगों में सूजन की समस्या आती है. इसके अलावा वह लंगड़ा कर चलने लगते हैं. उन्हें कमजोरी का सामना करना पड़ता है. दूध उत्पादन में कमी हो जाता है. इससे उन्हें गर्भपात भी हो सकता है और संक्रमित पशु की मौत भी हो सकती है.
कैसे करें बचाव
इससे बचाव के लिए पशुओं के घर को साफ सुथरा रखना चाहिए. शरीर में गांठ होने पर शरीर को पोटेशियम परमैग्नेट कक गोल से साफ कर देना चाहिए. जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक की सलाह से एंटीसेप्टिक लोशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. बुखार होने पर पशुओं को पैरासिटामॉल खिलाई जा सकती है. साथ ही संक्रमित पशुओं को हेल्दी पशुओं से अलग रखने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.
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