नई दिल्ली. राजस्थान में जैसलमेर के सीमावर्ती क्षेत्र में चारागाहों में सैकड़ों कुएं है, जिनके जल से आमजन का जीवन तो चलता है. जैसलमेर कम वर्षा वाला क्षेत्र है, इसलिए यहां पर खेती कम पशु पालन बड़ी मात्रा में होता है. पशुपालन के लिए ही स्थानीय लोगों ने अपने चारागाहों (ओरण- गोचर) में यह कुएं बनाएं, जिससे उन्हें व उनके पशुधन को पानी मिल सके. इस क्षेत्र लाखों पशुओं के लिए सैकड़ों की संख्या पर कुएं हैं. इन सभी कुंओं पर लाखों की संख्या में पशु पानी पीते हैं. मगर, सरकार ने इन चारागाह, गोचर और ओरण की जमीन को उपयोग हीन बताकर विंड कंपनियों को आंवटित करना चाहती है. अगर ऐसा हो गया तो पशुओं और मानव दोनों के लिए बड़ा संकट पैदा हो जाएगा. वहीं दूसरी ओर ऐ युवक है जो ऐसी भीषण गर्मी में पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए अभियान छेड़े हुए है. वो जगह-जगह जाकर टंकियों में पानी भरवा रहा है, ताकि रेगिस्तान में पक्षी बिना पानी न रह सके.
भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है. पश्चिमी राजास्थान में गर्मी अपने पूरे चरम पर है. तापमान 40 से पार हो चुका है. ऐसे में पशु-पक्षियों के लिए पानी का संकट पैदा हो गया है. ऐसे में कुओं में भी पानी नहीं बचा है. सरकार की ओर से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं सप्लाई किया जा रहा है,जिससे पशु-पक्षियों और लोगों लिए पूरा सके. ऐसे में वन्य जीव प्रेमी राधेश्याम इन पक्षियों की देखभाल करने में लगे हैं. राधेश्याम पेमाणी ने धोलिया और खेतोलाई के जंगलों में बनी 4 पशु कुंड और 15 सखेलियों में हर दूसरे दिन पानी डलवाया जा रहा है, जिससे करीब 15 हजार पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
खुद का ट्यूबवैल और खुद के ही टैंकरों से करते हैं पानी सप्लाई
राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि उनके खेत में ट्यूबवैल लगा है. टैंकर व बोलेरो कैंपर भी है.ये जो धोलिया और खेतोलाई के जंगलों में बनी 4 पशु कुंड ट्यूबवैल से करीब 10-10 किमी दूरी पर स्थित है. भादरिया, गंगाराम की ढाणी, खेतोलाई गांव व धोलिया के पास स्थित जंगल में उनकी ओर से पशु कुंडों व खेलियों का निर्माण करवाया गया है, जिसमें वह खुद के ट्यूबवैल से टैंकर भरकर पानी डाल रहे हैं. एक टैंकर में करीब 5500 से अधिक लीटर पानी आता है.
कुंड और खेलियों का कराया निर्माण
राधेश्याम पेमाणी बताते हैं कि इन चार तालाबों के साथ ही दूर—दराज क जंगलों में में पानी की कमी को दूर करने क लिए 15 खेलियों का निर्माण कराया गया. इसके लिए जोधपुर व ब्रिज फाउंडेशन द्वारा पत्थरों की 5 खेलियां उपलब्ध करवाई जकि 10 खेलियों का खर्च खुद ने उठाया. इसमें करीब एक हजार लीटर पानी का स्टोर किया जा सकता है. इन खेलियों में हर दूसरे—तीसरे दिन पानी भरा जाता है. पेमाणी ने बताया कि मैं इन जंगलों में घूमता रहा हूं, जहां भी खेलियां या कुंड खाली दिखता है तो मैं उन्हें भर देता हूं.
जंगल में ये पक्षी मिलते हैं
पक्षी प्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने बताया कि राजस्थान के इन जंगलों में राज्य पक्षी गोडावण, राज्य पशु चिंकारा, लोमड़ी, मरु बिल्ली, गिद्द, बाज, खरगोश व नीलगाय सहित कई वन्यजीव रहते हैं. भीषण गर्मी में वन्यजीवों को पानी के लिए दर-दर भटकते हुए देख उन्होंने यह बिड़ा उठाया है, ताकि जंगलों में विचरण करने वाले विलुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण व चिंकारा सहित दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीवों को मरने से बचाया जा सके.
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