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Animal Husbandry: पशुपालन और डेयरी व्यवसाय करके लाखों महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, पढ़ें ये रिपोर्ट

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. सरकार किसानों की इनकम बढ़ाना चाहती है. इसके लिए उसकी तरफ से किसानों की मदद की जा रही है, ताकि इनकम में इजाफा हो सके. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने कई योजनाओं से जोड़कर 40 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया है. सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इसमें तकरीब 9.5 लाख महिलाएं लखपति दीदी बन गईं हैं. दरअसल, मध्यप्रदेश में हजारों महिलाओं ने पलायन न करके सरकार की मदद से कृषि और पशुपालन जैसे काम को चुना है और इससे न अपने परिवार को मजबूती से चलाया है बल्कि आत्मनिर्भर बन गईं हैं.

झाबुआ की ग्राम पंचायत बेडावा की पूजा कहती हैं कि वे पांच साल पहले पति के साथ दूसरे राज्य में वो मजदूरी करती थी. साल 2019 में अरुण आजीविका समूह का गठन किया. सिलाई में ट्रेनिंग लेने के बाद सीएम आर्थिक कल्याण योजना से 50 हजार रुपए का लोन लेकर स्वयं का काम शुरू किया. अब पति को गैराज खुलवा दिया है, पक्का मकान बन गया है. ऐसी ही सफलता की कहानी लाखों महिलाओं की हैं.

29 लाख से ज्यादा परिवार कृषि-पशुपालन से जुड़े
बता दें कि कई महिलाओं ने पशुपालन करके डेयरी कारोबार शुरू किया. जिससे उन्हें खूब मुनाफा मिला है. वहीं महिलाओं ने छोटे पशु जैसे बकरी को भी पाला है और इससे भी फायदा हुआ है. ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व. सहायता समूह बनाकर खुद का रोजगार शुरू करने, परिवार का सहारा बनने का 9.5 लाख महिलाएं लखपति दीदी बन गई हैं. लाखों महिलाएं हर माह 6-7 हजार रु. कमा रही हैं. 29 लाख से ज्यादा परिवार कृषि-पशुपालन आधारित आजीविका से जुड़े हैं. बता दें कि प्रदेश में 13 साल में 49 हजार से अधिक गांवों में 58 लाख ग्रामीण महिलाएं स्व सहायता समूहों से शामिल हैं. इनमें 40 लाख स्वरोजगार से जुड़ी हैं.

ऐसे बनीं आत्मनिर्भर
ग्रामीण आजीविका मिशन की सीईओ ने कहा कि ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं लगातार स्व सहायता समूह से जुड़ रही हैं. हजारों महिलाएं बैंक से लोन लेकर खुद का स्वरोजगार कर रही हैं. उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका- 25 लाख महिलाएं जुड़ीं. जबकि व्यवसायिक सब्जी उत्पादन- 5 लाख परिवार को सहारा मिला. दुग्ध व्यवसाय से 3 लाख समूह सदस्य जुड़ीं. गैर कृषि आधारित- 10 लाख परिवार, डेयरी गतिविधि- 81,245 महिला दुग्ध उत्पादक किसान के तौर पर उभरीं हैं. हर्षिका सिंह का कहना है कि शिवपुरी से कच्ची घानी मूंगफली तेल की डिमांड मलेशिया-यूएस में हुई है. यहां वर्ष 23-24 में करीब 2,000 लीटर ऑयल का ऑर्डर मिला। यहां के बरदवास के जैकेट की नेपाल, भूटान, बंग्लादेश में डिमांड हुई. बुरहानपुर की अगरबती की रूस में मांग हुई है.

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