नई दिल्ली. लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि, शिकार, मछली पकड़ने और वानिकी पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर है. इस जोखिम के कारण मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ घरेलू जानवरों की उत्पादकता पर भी भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है. देश में पशुओं में सांप के काटने से मृत्युदर 47 प्रतिशत तक बताई गई है. सांप के काटने पर ज्यादातर मौत लापरवाही और बदहवास होने के चलते होती हैं. एकाएक मचने वाली अफरा-तफरी में घायल को हृदयाघात आ सकता है. ऐसे में सर्पदंश के बाद धैर्य, समझदारी और साहस की जरूरत है. धरती पर मौजूद जहरीले जीवों में से एक
सांप को देखकर लगभग हर कोई डर जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में सांपों की 3000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. भले ही सांपों की हजारों प्रजातियां हैं, लेकिन इनमें करीब 600 प्रजाति ही जहरीली होती है. कुछ सांप तो इतने जहरीले होते हैं कि वो पल भर में किसी को मौत की नींद सुला सकते हैं.
रंग बदलता है सांप: बता दें कि धरती पर सांप की एक ऐसी इकलौती प्रजाति है, जो अपना रंग बदलता है. सांप की यह विशेष प्रजाति कोबरा से भी ज्यादा जहरीली है. ये है इनलैंड ताइपेन, आज हम बात कर रहे हैं इनलैंड ताइपेन की. विज्ञान की भाषा में इसे ऑक्सीयूरेनस माइक्रोलेपिडोटस कहते हैं. इनलैंड ताइपेन सांप मध्यम आकार से थोड़ा सा बड़ा होता है. यह सांप अपना रंग बदलकर हल्के भूरे रंग से लेकर गहरे भूरे और हरे, पीले रंग तक हो सकता है. बता दें कि इनलैंड ताइपेन सांप का रंग मौसम के अनुसार बदलता है. सर्दियों में यह सांप गहरे रंग का और गर्मियों में हल्का हो जाता है.
काफी जहरीला है ये सांप: इनलैंड ताइपेन सांप से एलडी50 श्रेणी का जहर निकलता है. एलडी50 जहरीले एजेंट की वो मात्रा है, जो एक निश्चित समय के भीतर 100 मनुष्यों को मारने के लिए काफी है. इनलैंड ताइपेन सांप काफी तेज और फुर्तीला माना जाता है. यह अपने शिकार पर काफी सटीकता से हमला करता है. इस सांप को काफी खतरनाक माना जाता है.
मॉर्निंग में होता है एक्टिव: इनलैंड ताइपेन सांप सुबह के समय में सबसे अधिक सक्रिय होते हैं. इस दौरान वो धूप सेंकने और भोजन खोजने में समय बिताते हैं.
सांप के काटने पर करें ये काम: सांप काट ले तो घबराएं नहीं, सांप को खोजने की बजाए तुरंत पीड़ित को नजदीकी अस्पताल ले जाएं. देरी करने पर पीड़ित व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो सकता है. उसका सांस लेना मुश्किल हो सकता है. ब्लड का थक्का जमना या फंगल संक्रमण फैलना शुरू हो जाता है. इसलिए उसे नजदीकी हॉस्पिटल ले जाएं. ताकि उसे वहां एंटी-स्नेक वेनम नामक टीका दिया जा सके.
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