Home पशुपालन Fodder: पशुओं के चारे के लिए करें रिजका की बुआई, मिक्सड फसल लगाने से मिलेगा ये बड़ा फायदा
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Fodder: पशुओं के चारे के लिए करें रिजका की बुआई, मिक्सड फसल लगाने से मिलेगा ये बड़ा फायदा

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों के लिए रिजका की फसल किसी वरदान से कम नहीं है. इस फसल को लगाने से पशुओं के लिए चारे की टेंशन खत्म हो जाएगी. अगर आप भी पशुओं के लिए सालभर चारे की व्यवस्था करना चाहते हैं तो इस फसल की बुआई कर सकते हैं. इससे आपको फायदा मिलेगा. रिजका की खासियत ये भी है कि इससे आप हरा और सूखा दोनों किस्म का चारा ले सकते हैं. इसकी क्वालिटी इतनी बेहतरीन है कि इससे पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि गुजरात के कच्छ में रिजका के साथ में मिश्रित फसल के रूप में प्रचलन अधिक है. इसका क्षेत्रफल दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. किसानों का यह कहना है कि इसको साथ में लेने से साथ में बोई गयी फसल को खाद लगभग 25-30 प्रतिशत कम देनी पड़ती है. रिजका की अच्छी उपज के लिए 25 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 50 से 60 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टर की दर से देनी चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस की पूरी मात्रा बुआई के समय देनी चाहिए तथा शेष नाइट्रोजन की मात्रा दो बार में डालनी चाहिए.

सिंचाई का प्रबंधन कैसे करें
एक्सपर्ट का कहना है कि इसमें सिंचाई 8 से 10 दिनों के अंतर पर करनी चाहिए तथा सर्दियों के मौसम में सिंचाई का अंतर 15 से 20 दिनों तक रखा जाता है. जिन मृदाओं में जलधारण क्षमता कम होती है. उनमें 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. रिजका की बुआई के 20-25 दिनों पर एक निराई-गुड़ाई कर दें या पेंडिमेंथालिन (2 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर) बीज अंकुरण से पहले या फ्लूक्लोरोलिन एक कि.ग्रा. मात्रा प्रति 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

इन कीटों से होता है नुकसान
रिजका में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में रिजका इल्ली (लूसने कैटरपिलर), चना इल्ली (ग्रैम कैटरपिलर), सेमीलूपर व रिजका घुन आदि हैं. चना इल्ली मिट्टी के अन्दर रहती है, इसलिए दो पंक्तियों के बीच मृदा की गुड़ाई करने से इसका प्रकोप कम किया जा सकता है या 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से खेत में छिड़काव करना चाहिए.

रोग से कैसे करें रोकथाम
सर्दी के मौसम में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है. इसके नियंत्रण के लिए 12.5 कि.ग्रा. सल्फर पाउडर (90 प्रतिशत) प्रति हैक्टर का उपयोग कर सकते हैं. पत्तों पर धब्बे इस रोग में पत्तों पर छोटे भूरे रंग के धब्बे और मध्य में काले और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. इसके नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब (डाइथेन एम 45) 25 ग्राम को 10 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें.

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