Home पशुपालन Animal Husbandry: गर्मी के मौसम में गाय प्रेग्नेंट हैं… इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जानें खाने में क्या-क्या दें
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्मी के मौसम में गाय प्रेग्नेंट हैं… इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जानें खाने में क्या-क्या दें

infertility in cows treatment
गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुओं का सही से ख्याल रखा जाए तो वो ज्यादा उत्पादन देते हैं और वो फिट भी रहते हैं. उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है. पशु पालकों को ध्यान देना चाहिए कि जब गाय बंधी रहती है तब उसकी बॉडी की एक्टिविटी नहीं होती है. ऐसे में उसकी बच्चेदानी का विकास नहीं होता है. इस वजह से हीट में आने में टाइम लेती है. बछड़ों को शुरू से खेलकर रखना चाहिए. इससे जब वो 2 साल के होंगी तो हीट में आ जाएंगी. उनका बॉडी का वेट ढाई सौ से 300 किलो हो जाए तो एआई करा दें. या फिर अच्छे नस्ल का नंदी है तो उसे क्रॉस करा दें. ध्यान देना चाहिए कि अगर साहीवाल नस्ल की गाय है तो साहीवाल नस्ल का ही सीमेन इस्तेमाल किया जाए. थारपर का नस्ल तो थारपर का सीमेन इस्तेमाल किया जाए.


हरे चारे के अंदर रिजिका का इस्तेमाल किया जाता है. यह 3 साल तक चलने वाली ये फसल है, जो कोई किसान भाई है, गाय-भैंस रखता है तो रिजिका का इस्तेमाल कर सकता है. लगाने के बाद 15 दिन में उसकी कटाई की जा सकती है.. तैयार होने के बाद उसको उखाड़ कर गाय खिलाया जा सकता है. हरा चारा और चूरा 12 के 12 महीने दिया जाता है. गर्मी के महीने में गेहूं, का दलिया, मूंग की चूड़ी देते रहना चाहिए. जबकि 50 से 100 ग्राम सरसों का तेल भी दिया जाता है.

सरसों का तेल देना चाहिए: जो गाय प्रेग्नेंट हों उसके बयान से एक महीना पहले 100 ग्राम तेल जरूर देना चाहिए. जब तक गाय बच्चा न दे तेल देते रहना चाहिए. इससे ये फायदा होगा कि 10 किलो दूध दे रही है तो अगले ब्यांत में दूध उत्पादन बढ़़ जाए. क्योंकि तेल देने से गाय की सारी नस्लें खुल जाती हैं. जबकि थनेला प्रॉब्लम भी नहीं होगी. प्रेगनेंट होने से एक माह पहले सरसों का तेल देना चाहिए. पशुपालकों के लिए ध्यान देना चाहिए कि जैसे से गर्मी की शुरुआत हो खासतौर पर मैं में अधिक तापमान होने की संभावना रहती है.

खनिज लवण की हो जाती है कमी: गर्मी के मौसम में कुछ स्थानों पर आंधी-तूफान के साथ वर्षा भी होती है. तब गर्मी जनित रोगों का फैलने का खतरा रहता है. ऐसे में पशुओं में खनिज लवण की कमी होती है. भूख कम होना और कम उत्पादन से लक्षण देखने को मिलते हैं. पशुओं को धूप और लू से बचाने के उपाय करने चाहिए. चारे का संग्रहण और उसकी समय पर खरीद कर लें. पशुओं में लवणों की कमी ना हो सके इसके लिए खनिज लवण मिश्रण सही मात्रा में दें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

अरुणाचल प्रदेश में, ब्रोक्पा बड़ी मोनपा जनजाति की एक उप-जनजाति है, जो पूर्वी हिमालयी क्षेत्र के पश्चिमी कामेंग और तवांग जिलों में निवास करती है.
पशुपालन

Arunachali Yak: अरुणाचल प्रदेश की पहचान है अरुणाचली याक, जानिए इसकी खासियत

फाइबर के माध्यम से आश्रय और कपड़े प्रदान करते हैं और कठिन...

Why did NDRI say, separate AI department is needed for research and development activities
पशुपालन

Indian Dairy: NDRI से देश को मिलेंगी 98 फीमेल डेयरी साइंटिस्ट और एक्सपर्ट, 22 को मिलेगी डिग्री

जिन साइंटिस्ट को मेडल आदि दिया जाना है उन्हें भी सूचित किया...

animal husbandry
पशुपालन

Animal Husbandry: अच्छा बछड़ा या बछिया चाहिए तो आजमाए ये टिप्स, आमदनी होगी डबल

भैंस के बच्चे को तीन माह तक रोजाना उसकी मां का दूध...

livestock
पशुपालन

Animal News: गर्मी में डेयरी पशुओं को लू से बचाने के लिए पढ़ें टिप्स

पशुओं को लू से बचाने के लिए ठंडी छाया के साथ पोषण...