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Goat Farming: बकरी की प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के वक्त इस तरह करें देखरेख, पढ़ें डिटेल

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बाड़े में चारा खाती बकरियां.

नई दिल्ली. बकरी पालन एक बेहद ही फायदेमंद कारोबार है. खासतौर इस काम को ग्रामीण इलाकों में बहुत ही आसानी के साथ किया जा सकता है. वैसे भी बकरी को गरीब और सीमांत किसानों की गाय कहा जाता है. किसान बकरी से दूध निकालकर बेचते हैं और उसके बच्चों को भी बेचते हैं. जब ज्यादा पैसों की जरूरत होती है तो बकरी को बेचकर भी इसका इंतजाम कर लेते हैं. वहीं बकरी के दूध में पाए जाने वाले औषधीय गुण की वजह से इसकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ती चली जा रही है. अब सिर्फ गरीब नहीं बल्कि पैसे वाले लोग भी बकरी पालन में हाथ आजमा रहे हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरियों को पालने का मकसद इनसे दूध और मांस प्राप्त करना होता है. इसके साथ-साथ इनकी बिक्री से अच्छी खासी आमदनी हासिल की जा सकती है. यही वजह है कि बकरी पालन मौजूद दौर में देश में करोड़ों लोगों की जीविका और रोजगार का साधन बना हुआ है. बकरी पालन के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. मसलन उनकी देखरेख हर अवस्था में करनी चाहिए. इस आर्टिकल में हम बकरी के प्रेग्नेंसी पीरियड और डिलीवरी को लेकर बात करने जा रहे हैं.

गर्भावस्था एवं प्रसव
एक्सपर्ट का कहना है कि गर्भावस्था में बकरियों की उचित देखभाल और संतुलित आहार देने की जरूरत होती है. इससे आगे आने वाले बच्चे का भविष्य तय होता है. ब्याने से एक हफ्ते पहले गर्भित बकरियों को हल्का, सुपाच्य दाना-चारा दिया जाना चाहिये. इन बकरियों को ब्याने के तय समय से 7-8 दिन पहले बाड़ों के आसपास ही चराया जाना चाहिये या फिर बाड़ों में ही रखा जाना चाहिये. ब्याने के 15 दिन पहले भी कुछ तैयारियां कर लेनी चाहिये. ब्याने के लिये इस्तेमाल होने वाले प्रत्येक बाड़े को अच्छी तरह से साफ करके सुखा लेना चाहिये. एक हफ्ते के बाद चूना डालकर उसमें सूखी घास का बिछौना देना चाहिये. इन्हीं बाड़ों को प्रत्येक ब्याने वाली बकरी के लिये उपयोग में लाया जाना चाहिये.

फिर दर्द शुरू हो जाता है
जैसे-जैसे बकरी के प्रसव का समय नजदीक आता है तो बकरी बेचैन होने लगती है. बकरी के अयन का आकार बढ़ जाता है. थनों में चमक एवं फूलापन दिखाई देता है. पहली बार ब्याने वाली अधिकांश बकरियों के थनों में दूध भी उतर आता है. बकरी की योनि मार्ग से लसलसा, पीला एवं गाढ़ा स्राव ब्याने से कुछ दिन पूर्व निकलना शुरू हो जाता है. बकरी झुंड से अलग एकान्त पसंद करती है. ब्याने से कुछ घण्टे पूर्व बकरी बार-बार उठती-बैठती है और अनमनी रहती है. जैसे-जैसे ब्याने का समय नजदीक आता है प्रसव दर्द शुरू हो जाते हैं.

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