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Animal News: UP में पशुओं के लिए सरकार ने शुरू की थी ये योजना, पढ़ें कितना मिला इसका फायदा

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. गोवंश की उन्नत नस्ल की स्वदेशी प्रजातियों के सेक्स्ड सीमेन के प्रोडक्शन, वितरण व राज्य में बेसहारा पशुओं की संख्या पर रोक लगाने के लिए सरकार ने योजना की शुरुआत की थी. अब तक इस योजना के तहत लाखों सेक्स्ड सीमेन के तहत उत्पादन किया गया है. साल 2019 से चल रही इस योजना के कारण सेक्स्ड सीमेन जुटाने में सरकार की मशीनरी कामयाब रही है. यानि सरकार की ओर से जितना भी टारगेट तय किया गया था, उसे पूरा करने में सफलता मिली है लेकिन इस साल टारगेट को पूरा नहीं किया जा सका है.

सरकार का मानना है कि कृषि काम में मशीनीकरण में वृद्धि और स्वदेशी गोवंश पशुओं का उपयोग बेहद कम हो गया है. इसके चलते बेसहारा नर गोवंश की संख्या लगतार बढ़ती जा रही रही है. जिसका किसानों की फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है. बेसहारा नर गोवंश और कम गुणवत्ता की मादा पशु को कम करने के उद्देश्य से फ्रोजेन सीमन प्रोडक्शन सेंटर बाबूगढ़, हापुड़ में सेक्स्ड सीमेन के उत्पादन की इकाई, गोवंशीय पशुओं में सेक्स्ड सीमेन के उपयोग की योजना (रायो) के तहत स्थापित की गयी थी.

क्या है प्रोडक्शन की प्रक्रिया
जानकारी के मुताबिक योजना के तहत बाबूगढ़ स्थित प्रयोगशाला पर सेक्स्ड सीमेन प्रोडक्शन किया जा रहा है. इस विधि से प्राप्त सीमेन स्ट्राज से कृत्रिम गर्भाधान बाद लगभग 90 फीसदी उच्च गुणवत्ता की मादा संतति प्राप्त की जा सकती है. योजना के तहत सेक्स्ड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान का कार्य नवम्बर 2019 से ही चल रहा है. आपको बता दें कि योजना का मकसद उच्च गुणवत्तायुक्त स्वदेशी प्रजातियों के सेक्स्ड सीमेन का उत्पादन और वितरण करना है. वहीं इसका दूसरा लक्ष्य प्रदेश में बेसहारा गोवंशों की संख्या को नियंत्रित करना भी है. योजना पूरी तरह से नई तकनीकी पर आधारित है, जिसमें माइक्रोफ्लूडिक व लेजर तकनीक के माध्यम से सीमेन में मौजूदा एक्स और वाई क्रोमोसोमधारक स्पर्म की पहचान की जाती है. इसके बाद लेजर तकनीक द्वारा वाई क्रोमोसोमधारक स्पर्म को मार दिया जाता है. जिससे सीमेन में एक्स क्रोमोसोमधारक स्पर्म ही जिंदा रहते हैं.

कितना है एआई का चार्ज, पढ़ें यहां
योजना प्रदेश के सभी (75) जिलों में भारतीय गोवंश प्रजातियों के लिए चलाई जा रही है. वहीं सरकार की ओर से पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी जिलों के पशुपालकों से सेक्स्ड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कराने पर 300 रुपये और बुन्देलखंड क्षेत्र के जिलों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 100 रुपये लिया जा रहा है. इन पैसों को पशुधन विकास परिषद के माध्यम से ट्रेजरी में जमा की जाती है.

टारगेट के बारे में पढ़ें यहां
साल 2019-20 में जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तो सरकार की ओर से सेक्सड सीमेन के उत्पादन के लिए 137500 का लक्ष्य रखा गया था. जिसे पूरा कर लिया गया था. इसी तरह से अगले साल 2020-21 में 341000 का लक्ष्य था, जिसमें 344490 सीमेन हासिल किए गये. वहीं साल 2021-2022 में 402000 के लक्ष्य मुताबिक 402740 सेक्स्ड सीमेन का प्रोडक्शन हुआ. 2022-2023 में 402000 के मुकाबले 402120 सेक्सड वीर्य का प्रोडक्शन हुआ लेकिन 2023-24 में 402000 के लक्ष्य मुताबिक 301670 का ही प्रोडक्शन हो सका.

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