नई दिल्ली. पशु का आवास जितना अधिक स्वच्छ तथा आराम दायक होता है, पशु की हैल्थ उतना ही ज्यादा अच्छी रहती है. जिससे वह अपनी क्षमता के अनुसार उतना ही अधिक दूध उत्पादन करने में सक्षम हो जाता है. इसलिए दुधारू पशु के लिए साफ सुथरी तथा हवादार पशुशाला का बनाना बेहद ही जरूरी होता है. क्योंकि इसके न होने से पशु कमजोर हो जाता है और उसे अनेक तरह के रोग लग जाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि इसलिए पशुपालन में पशुशाला के बेहतर होने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. तभी डेयरी कारोबार में फायदा होगा.
एक्सपर्ट का कहना है कि आइडियल गौशाला बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान देना बेहद ही जरूरी होता है. एक तो स्थान का चयन, दूसरा उस जगह की पहुंच, तीसरा बिजली, पानी की सुविधा, चौथा चारे, मजदूर और मार्केटिंग की की सुविधा और पांचवा वातावरण. आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं.
स्थान का चयन कैसा हो
गौशाला का स्थान समतल तथा बाकी जगह से कुछ ऊंचा होना आवश्यक है. ताकि बारिश का पानी, मल-मूत्र तथा नालियों का पानी आदि आसानी से बाहर निकल सकें. यदि गहरे स्थान पर गौशाला बनायी जाती है तो इसके चारों ओर पानी तथा गंदगी जमा होती रहती है. जिससे गौशाला में हमेशा बदबू रहती है. गौशाला के स्थान पर सूरज के प्रकाश का होना भी आवश्यक है. धूप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए. गौशाला की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से पहले व पश्चिम से सूरज की रोशनी खिड़कियों व दरवाजों के द्वारा गौशाला में प्रवेश करेगी. सर्दियों में ठंडी व वर्फीली हवाओं से बचाव का ध्यान रखना भी जरूरी है.
स्थान ऐसा होना चाहिए
गौशाला का स्थान पशुपालक के घर के नजदीक होना चाहिए ताकि वह किसी भी समय आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र गौशाला पहुंच सके. व्यापारिक माप पर कार्य करने के लिए गौशाला का सड़क के नजदीक होना आवश्यक है ताकि दूध लेजाने, दाना चारा व अन्य सामान लाने-लेजाने में आसानी हो तथा खर्चा भी कम हो.
बिजली, पानी की सुविधा रहे
गौशाला के स्थान पर बिजली व पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखना आवश्यक है. क्योंकि डेयरी के कार्य के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है. इसी प्रकार तरह समय में गौशाला के लिए बिजली का होना भी आवश्यक है. क्योंकि रात को रोशनी के लिए तथा गर्मियों में पंखों के लिए इसकी जरूरत होती है.
चारे, श्रम तथा मार्केटिंग की सुविधा
गौशाला के स्थान का चयन करते समय चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है क्यों कि चारे के बिना दुधारू पशुओं का पालना एक असम्भव कार्य है. हरे चारे के उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि का होना भी आवश्यक है. चारे की उपलब्धता के अनुरूप ही दुधारू पशुओं की संख्या रखी जानी चाहिए. पशुओं के कार्य के लिए श्रमिक की उपलब्धता भी उस स्थान पर होनी चाहिए. क्योंकि बिना श्रमिक के बड़े पैमाने पर डेयरी का कार्य चलाना कठिन होता है. डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, खोया आदि के बेचने की सुविधा भी पास में होना आवश्यक है. इसलिए स्थान का चयन करते समय डेयरी उत्पाद के बेचने की सुविधा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है.
स्थान का वातावरण का रखें ध्यान
पशुशाला एक साफ सुथरे वातावरण में बनानी चाहिए. प्रदूषित वातावरण पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है. जिससे दुग्ध उत्पादन में कमी हो सकती है. पशुशाला के आसपास जंगली जानवरों का प्रकोप बहुत कम अथवा विल्कुल नहीं होना चाहिए ताकि इनसे दुधारू पशुओं को खतरा न हो.
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